शुक्रवार, 19 जनवरी 2018

सुरक्षित भोज्‍य सामग्री देने वाले देशों में भारत ! डॉ. मयंक चतुर्वेदी

ज विश्‍वभर में सुरक्षित भोज्‍य सामग्री मिलना किसी चुनौती से कम नहीं है। दुनिया के कई देश आज भी कृषि में तमाम वैज्ञानिक अनुसंधान हो जाने के बाद इससे निजात नहीं पा सके हैं कि उन्‍हें पौष्‍ट‍िक आहार सहज रूप से प्राप्‍त हो सके। इस बीच भारत एक ऐसा देश है जहां विश्‍वभर की लगभग सभी जलवायु वर्षभर में कभी न कभी किसी न किसी कौने में अवश्‍य ही आती है। यानि की कश्‍मीर से लेकर कन्‍याकुमारी तक हर प्राकृतिक परिवर्तन को यहां महसूस किया जा सकता है। इसी को ध्‍यान में रखते हुए हाल ही में  खाद्य प्रसंस्‍करण क्षेत्र के निर्माता और वैश्विक नेताओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत आमंत्रित किया 

वस्‍तुत: इस सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो वक्‍तव्‍य दियावह निश्‍चित ही वर्तमान भारत की आर्थ‍िक विकास की कहानी कहता है। उन्‍होंने कहा कि कृषि के क्षेत्र में भारत की शक्‍ति को विभिन्‍न और कई प्रकार से देखा जा सकता है। विश्‍व की दूसरी सबसे बड़ी कृषि योग्‍य भूमि और अधिकाधिक 127 विविध कृषि जलवायु क्षेत्रजो कि केले,आमगवापपीता और ओकरा जैसी फसलों के क्षेत्र में हमें वैश्विक नेतृत्‍व प्रदान करता है। चावलगेहूँ ,मछली फल और सब्जियों के उत्‍पादन के क्षेत्र में विश्‍व में हम दूसरे नम्‍बर पर हैं। साथ ही भारत एक बड़ा दूध उत्‍पादक देश है। पिछले दस वर्षों के दौरान हमारे बागवानी क्षेत्र ने प्रतिवर्ष औसतन 5.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज  की है।

सदियों से भारत ने हमारे खास मसालों की तलाश में आये दूरवर्ती देशों के व्‍यापारियों का स्‍वागत किया है। उनकी भारत यात्रा ने कई बार देश इतिहास निर्माण का कारण रही हैं। मसालों  के माध्‍यम से यूरोप और दक्षिण पूर्व एशिया के साथ हमारे व्‍यापारिक सहयोग विश्‍व विदित हैं। यहां तक कि क्रिस्‍टोफर कोलम्‍बस भी भारत के मसालों के प्रति आकर्षित था और अमरीका जाकर कहा था कि उसने भारत जाने का एक वैकल्पिक समुद्री मार्ग खोज लिया है। खाद्य प्रसंस्‍करण भारत की जीवन शैली है। यह दशकों से चला आ रहा है यहां तक कि छोटे घरों मेंआसानघरेलू तकनीकों जैसे खमीर से हमारे प्रसिद्ध आचारपापड़चटनी और मुरब्‍बा के निर्माण हुआ है जो अब दुनियाभर में विशिष्‍ट और आम दोनों वर्गों में प्रसिद्ध है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां सही कहते हैं कि भारत आज विश्‍व की तेजी से विकसित हो रही अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक है। वस्‍तु और सेवा कर या जीएसटी ने करों की बहुलता को समाप्‍त किया है। भारत ने विश्‍व व्‍यापार रैंकिंग में तीस रैंक का उछाल दर्ज किया है। यह भारत का अब तक का सबसे अच्‍छा प्रदर्शन है और इस साल किसी भी देश द्वारा अकों में की गई सबसे ऊंची छलांग है। वर्ष 2014 की 142 वीं रैंक से अब भारत टॉप 100 शीर्ष रैंकिंग पर पहुंच गया है। भारत को वर्ष 2016 में ग्रीनफील्‍ड निवेश में प्रथम स्‍थान प्राप्‍त हुआ था। वैश्विक नवाचार सूचकांकग्‍लोबल लॉजिस्टिक इंडेक्‍स और वैश्विक स्‍पर्धात्‍मक सूचकांक में भी भारत की स्थिति में तेजी से प्रगति हो रही है।भारत में नया व्‍यापार शुरू करना अब पहले के अपेक्षा अधिक सरल हो गया है। विभिन्‍न एजेन्सियों से क्‍लीयरेंस प्राप्‍त करने की प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है। पुराने कानूनों के स्‍थान पर नये कानूनों का निर्माण किया गया है और अनुपालन बोझ को कम किया गया है।

वस्‍तुत: यहां खाद्य प्रसंस्‍करण की बात करें तो सरकार ने परिवर्तनकारी पहलों की एक श्रृंखला शुरू की है। इस क्षेत्र में निवेश हेतु भारत अब एक सबसे अधिक पसंद किये जाने वाला देश है। यह हमारे मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में एक प्राथमिक क्षेत्र है। भारत में ई-कॉमर्स के जरिए व्‍यापार और खाद्य उत्‍पादों का निर्माण या पैदा करने के लिए भारत में 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी गई है। एकल खिड़की सहायता प्रकोष्‍ठ विदेशी निवेशकों को सहयोग प्रदान करता है। केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों द्वारा आकर्षक वित्‍तीय पहल प्रारंभ की गई हैं। खाद्य और कृषि आधारिक प्रसंस्‍करण इकाईयों को ऋण प्राप्‍त करने को सरल बनाने और उसे किफायती दर पर प्राप्‍त करने के  लिए ऋण और कोल्‍ड चेन को प्राथमिक ऋण सेक्‍टर के तहत वर्गीकृत किया गया है।  

निवेशक बंधु  या इन्‍वेटर्स फ्रेंन्‍ड पोर्टल जिसे हमने हाल ही में शुरू किया है खाद्य प्रसंस्‍करण सेक्‍टर के लिए उपलब्‍ध केन्‍द्रीय और राज्‍य सरकार की नीतियों और प्रोत्‍साहन की जानकारी एक साथ उपलब्‍ध कराता है। यह प्रसंस्‍करण आवश्‍यकताओं के साथ स्‍थानीय स्‍तर पर संसाधनों को रेखांकित करता है। व्‍यापार नेटवर्किंगकिसानोंप्रसंस्‍करणकर्ताओं,व्‍यापारियों और लॉजिस्‍टिक ऑपरेटरों का एक मंच भी है। देश में आज मूल्‍य श्रृंखला के विभिन्‍न वर्गों में निजी क्षेत्र की सहभागिता में वृद्धि हुई है। हालांकिअनुबंध कृषिकच्‍चा माल प्राप्‍त करने और कृषि संबंधों के निर्माण में और अधिक निवेश की आवश्‍यकता है। कई अंतर्राष्‍ट्रीय कंपनियां भारत में अनुबंध खेती के लिए आगे आए हैं। भारत को एक प्रमुख आउटसोर्सिंग हब के रूप में देखने वाली वैश्विक सुपर मार्केट के लिए यह एक खुला अवसर है। एक ओर जहां फसल प्रबंधन के बाद के क्षेत्रों जैसे प्राथमिक प्रसंस्‍करण और भंडारणअवसंरचना संरक्षणकोल्‍ड चैन और रेफरीजरेटिड परिवहन में अवसर हैं वहीं दूसरी ओर आला क्षेत्रों जैसे जैविक और गढ़वाले भोजन में खाद्य प्रसंस्‍करण और मूल्‍य वर्द्धन हेतु विशाल संभावनाएं हैं

प्रधान मंत्री मोदी यह भी कहते हैं कि बढ़ते शहरीकरण और उभरते मध्‍यम वर्ग के कारण पौष्टिक और संसाधित भोजन की मांग बढ़ी है। भारत में एक दिन में ट्रैन की यात्रा के दौरान एक करोड़ से अधिक यात्री भोजन लेते हैं। उनमें से प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग का एक संभावित ग्राहक है। इस प्रकार के अवसर हैं जो कि उपयोग किये जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। भोजन की गुणवत्‍ता और प्रकृति के बारे में वैश्विक स्‍तर पर लाइफस्‍टाइल डिसीज बढ़ रही हैं। कृत्रिम रंगोंरसायनों और पिजरवेटिव के इस्‍तेमाल को लेकर विरक्‍ति आई है। भारत समाधान उपलब्‍ध करा सकता है और एक विन-विन साझेदारी प्रस्‍तुत करता है।

आधुनिक तकनीकसंसाधन और पैकेजिंग के साथ परम्‍परागत भारतीय भोजन का जोड़ विश्‍व को हल्‍दीअदरक और तुलसी जैसे भारतीय खाद्य सामग्रियों के ताजा स्‍वाद और स्‍वास्‍थ्‍य लाभों को पुन: प्राप्‍त करने में सहायता कर सकता है। निरोधक स्वास्थ्य देखभाल के अतिरिक्त लाभों के साथ स्वच्छपौष्टिक और स्वादिष्ट संसाधित भोजन का सही मिश्रणयहां भारत में किफायती तौर पर तैयार किया जा सकता है।  भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यह सुनिश्चित करने में प्रयासरत है कि भारत में भारत में तैयार किये गये संसाधित भोजनअंतर्राष्‍ट्रीय मानकों के अनुरूप हो। कोडेक्‍स के साथ खाद्य अवयव मानकों का संयोजन और सुदृढ़ परीक्षण और प्रयोगशाला अवसंरचना का निर्माणखाद्य व्‍यापार हेतु एक समर्थ वातावरण तैयार करने का मार्ग प्रशस्‍त करेगा।

किसान जिन्‍हें हम सम्‍मान से अन्‍नदाता या भोजन देने वाला कहते हैं खाद्य प्रसंस्‍करण के हमारे प्रयासों के केन्‍द्र में हैं। पांच वर्षों के भीतर किसानों की आय को दोगुना करना हमारा एक घोषित लक्ष्‍य है और विश्‍वस्‍तरीय खाद्य प्रसंस्‍करण अवसंरचना के निर्माण हेतु प्रधानमंत्री किसान सम्‍पदा योजना’ के नाम से एक राष्‍ट्र स्‍तरीय कार्यक्रम की शुरूआत की है। इस पर लगभग पांच अरब डॉलर का निवेश होने और दो करोड़ किसानों को लाभ पहुंचने और अगले तीन वर्षों के दौरान पाँच लाख से अधिक रोजगार पैदा होने का अनुमान है। मेगा फूड पार्क का निर्माण इस योजना का एक मुख्‍य घटक है। यद्यपि इन फूड पार्कों के संबंध हमारा लक्ष्‍य है कृषि प्रसंस्‍करण क्‍लस्‍टर को मुख्‍य उत्‍पादन केन्‍द्र से जोड़ने का है। यह आलूअनानाससंतरा और सेब जैसी फसलों में वर्धित मूल्‍य प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत करेगी। किसान समूहों को इन पार्कों में ईकाइंयां लगाने हेतु प्रेरित किया जा रहा है जिसके द्वारा अपव्‍यय और परिवहन लागत में कमी आएगी और नये रोजगार सृजित होंगे। ऐसे 9 पार्क पहले से ही कार्य कर रहे हैं और देश भर में तीस से अधिक पार्क प्रक्रिया में हैं।

समाज के अंतिम सिरे तक वितरण में सुधार के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी तक पहुंच बढ़ाने के जरिए हम प्रशासन में सुधार कर रहे हैं। हमारी योजना एक निर्धारित समय सीमा के भीतर ब्राड बैंड कनेक्‍टिविटी के जरिये हमारे गांवों को जोड़ने की है। हम भू‍मि रिकार्डों का डिजिटलीकरण कर रहे हैं और लोगों को मोबाइल पर विभिन्‍न सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। सहयोगी और स्‍पर्धात्‍मक संघवाद की सच्‍ची भावना के साथ हमारी राज्‍य सरकारें प्रक्रियाओं को कार्यविधियों को सरल बनाने के लिए केन्‍द्र सरकार के साथ मिलकर प्रयासरत हैं। कई राज्‍य सरकारें निवेशषकों को आकर्षित करने के लिए आकर्षक खाद्य प्रंसस्‍करण नीतियों के साथ सामने आई हैं। मैं भारत के प्रत्‍येक राज्‍य अनुरोध करता हूं कि कम से कम एक विशेष खाद्य उत्‍पाद की पहचान करें। इसी प्रकार प्रत्‍येक जिला भी उत्‍पादन हेतु  कुछ खाद्य उत्‍पादों और विशेष खाद्य उत्‍पाद के रूप में एक उत्‍पाद का चयन करें।

प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि आजहमारा मजबूत कृषि आधार हमें एक विशाल प्रसंस्‍करण क्षेत्र का सृजन करने के लिए एक महत्‍वपूर्ण मंच उपलब्‍ध कराता है। हमारा व्‍यापक उपभोक्‍ता आधारबढ़ती आयअनुकूल निवेश पर्यावरण और व्‍यापार को आसान बनाने हेतु प्रतिबद्ध सरकार सभी मिलकर भारत को वैश्विक खाद्य प्रसंस्‍करण बिरादरी के लिए एक उपयुक्‍त स्‍थान बनाते हैं।भारत में खाद्य उद्योग का प्रत्‍येक उप क्षेत्र व्‍यापक अवसर उपलब्‍ध कराता है। मैं आपके सामने कुछ उदहारण रखता हूं।

डेयरी सेक्‍टर ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था के लिए एक व्‍यापक क्षेत्र के रूप में उभरा है। हमारा लक्ष्‍य दूध आधारित विभिन्‍न उत्‍पदों के उत्‍पादन स्‍तर में बढ़ोतरी करके इसे आगे ले जाने का है। शहद इंसानों को प्रकृति की ओर से एक उपहार है। यह कई कीमती उप- उत्‍पादों जैसे मधुमक्‍खी का मोम उपलब्‍ध कराता है। इसमें फार्म की आय बढ़ाने की क्षमता है। वर्तमान में शहद के उत्‍पाद और निर्यात में हमारा छठा स्‍थान है। भारत अब एक मीठी क्रांति की ओर बढ़ रहा है। भारत वैश्विक मछली उत्‍पादन में छह प्रतिशत का योगदान करता है। झींगा के निर्यात में हम विश्‍व के दूसरे बड़े देश हैं। भारत लगभग 95 देशों को मछली और मछली उत्‍पादों का निर्यात करता है। हमारा लक्ष्‍य ब्‍लू क्रान्ति के जरिये समुद्री अर्थव्‍यवस्‍था में एक बड़ी छलांग लगाने का है। हमारा ध्‍यान अप्रयुक्‍त क्षेत्रों जैसे कृत्रिम मछली पालन और सघन खेती का विकास करना है। हम नये क्षेत्रों जैसे मोती उत्‍पादन का विस्‍तार भी करना चाहते हैं। सतत विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धताजैविक खेती हेतू हमारी जिज्ञासा का मुख्‍य केन्‍द्र है। पूर्वोत्‍तर भारत में सिक्‍किम भारत का पहला पूर्ण रूप से जैविक राज्‍य बन गया है। समूचा पूर्वोत्‍तर क्षेत्र जैविक उत्‍पादन के लिए कार्यात्‍मक अवसंरचना निर्माण के लिए अवसर प्रस्‍तुत करते हैं।

भारतीय बाजारों में सफलता के लिएभारतीय खाद्य आदतों और स्‍वाद को समझना मुख्‍य आवश्‍यकता है। आपके उदहारण के लिए दूध आधारित उत्‍पाद और फ्रूट जूस आधारित पेय उत्‍पाद भारतीय खाद्य आदतों का एक स्‍वाभाविक अंग है। इसीलिएकार्बोनेटिड पेय पदार्थों के निर्माताओं को मेरी सलाह है कि वह अपने उत्‍पादों में पांच प्रतिशत फलों का रस मिलाने की क्षमता रखें। खाद्य प्रसंस्करण में पोषण सुरक्षा के समाधान भी हैं।उदहारण के लिए हमारे मोटे अनाज और बाजरा में उच्च पोषण तत्‍व है। वे प्रतिकूल कृषि-जलवायु परिस्थितियों का सामना भी कर सकते हैं। उन्‍हें पोषण समृद्ध और जलवायु समर्थ’ फसले भी कहा जा सकता है। क्‍या हम इन पर आधारित कोई उद्यम की शुरूआत कर सकते हैंयह हमारे कुछ गरीब किसानों की आय में वृद्धि करेगा और हमारे पौष्टिक स्‍तर को भी बढ़ाएगा। ऐसे उत्‍पाद की नि:संदेह विश्‍वभर में मांग बढ़ेगी।

क्‍या हम हमारी क्षमताओं को विश्‍व की आवश्‍यकताओं के साथ जोड़ सकते हैं क्‍या हम भारत के किसानों को विश्‍वभर के बाजार के साथ जोड़ सकते हैं?  ये कुछ ऐसे प्रश्‍न हैं जिनका उत्‍तर मैं आप पर छोड़ना चाहता हूं। मोदी कहते हैं कि मुझे विश्‍वास है कि वर्ल्‍ड फूड इंडिया इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाने में मदद करेगा। साथ ही हमारी समृद्ध खाना बनाने की कला में मूल्‍यवान अंतदृष्टिकोण उपलब्‍ध कराएगा और खाद्य प्रसंस्करण के बारे में हमारे प्राचीन ज्ञान को उजागर प्रकाशमान करेगा।

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