शनिवार, 19 अगस्त 2017

हिन्‍दू मंदिरों के प्रति मुगलों की क्रूरता आज फिर देखने को मिली

ध्‍यप्रदेश की संस्‍कारधानी में आज प्रवास के दौरान इतिहास के उस सच से सामना हुआ, जिसमें हिन्‍दू मंदिरों के प्रति मुगलों की नफरत और क्रूरता को प्रत्‍यक्ष देखा । इसे देखकर अनुभूति यही हुई कि भारतवर्ष में मुगलों ने धर्मांध होकर दो निशान, दो पहचान के आधार पर देश का विभाजन भले ही करवा लिया हो लेकिन वह इस भारत भू से सनातन संस्‍कृति को अपने लाख प्रयत्‍नों के बाद भी नहीं मिटा पाए। धन्‍य हैं वे हिन्‍दू स्‍वजन जिन्‍होंने समय समय पर प्राणोत्‍सर्ग करना उचित समझा, जिन्‍होंने पलायन उचित समझा किंतु अंत तक अपनी जड़ों को नहीं छोड़ा।

असल में मैं बात कर रहा हूँ, जबलपुर के भेड़ाघाट स्थित चौसठ योगिनी मंदिर की । इस चौसठ योगिनी मंदिर का निर्माण 10 वीं सदी में हुआ था। जिसे त्रिपुरी के कल्चुरि शासक युवराजदेव प्रथम ने अपने राज्य विस्तार के लिए योगिनियों का आशीर्वाद लेने की मंशा से बनवाया था।

ये चौसठ योगनियां बहुरूप, तारा, नर्मदा, यमुना, शांति, वारुणी क्षेमंकरी, ऐन्द्री, वाराही, रणवीरा, वानर-मुखी, वैष्णवी, कालरात्रि, वैद्यरूपा, चर्चिका, बेतली, छिन्नमस्तिका, वृषवाहन, ज्वालाकामिनी, घटवार, कराकाली, सरस्वती, बिरूपा, कौवेरी, भलुका, नारसिंही, बिरजा, विकतांना, महालक्ष्मी, कौमारी, महामाया, रति, करकरी, सर्पश्या, यक्षिणी, विनायकी, विंध्यवासिनी, वीर कुमारी, माहेश्वरी, अम्बिका, कामिनी, घटाबरी, स्तुती, काली, उमा, नारायणी, समुद्र, ब्रह्मिनी, ज्वाला मुखी, आग्नेयी, अदिति, चन्द्रकान्ति, वायुवेगा, चामुण्डा, मूरति, गंगाधूमावती, गांधार, सर्व मंगला, अजिता, सूर्यपुत्री वायु वीणा, अघोर और भद्रकाली हैं। 

किंतु इस मंदिर का दुखद पक्ष यह है कि इन समस्‍त चौसठ योगिनीयों में से एक भी मूर्ति ऐसी शेष नहीं जोकि सही सलामत छोड़ी गई हो। हिन्‍दू आस्‍था के साथ मुगल विद्वेष की यह सभी मूर्तियां जीता जागता प्रमाण हैं।

इतिहास हमें बताता है‍ कि आतातायी औरंगजेब के आदेश पर उसकी मुगल सेना ने इन सभी मूर्तियों को खण्डित किया था। अक्‍सर ऐसे विषयों पर धर्मनिरपेक्षता के चलते कई पढ़े लिखे लोग, पत्रकार तक जिन्‍हें सत्‍य का साक्षी और कलम का सिपाही कहा जाता है, बोलने एवं लिखने में संकोच करते हैं,  किंतु यहां उनसे इतनाभर कहना है कि क्‍या सच छिपाने से इतिहास बदल जाएगा । जब मैं इस स्‍थान को देख रहा था तो विचार बार बार यही आ रहा था कि इतने ऊँचें स्‍थान पर तत्‍कालीन समय में इस मंदिर निर्माण में मूर्तिकारों का कितना श्रम एवं समय लगा होगा। मंदिर नर्मदा और बाणगंगा के संगम पर स्थित 500 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्‍थ‍ित है।

आज त्रिभुजी कोण संरचना पर आधारित इस मंदिर में योगिनियों की खंडित मूर्तियां बार बार यही पुकार रही हैं कि यदि कोई प्राचीन भग्‍नावशेषों को सुधारने की आधुनिकतम वैज्ञानिक प्रक्रिया हो तो आओ यहां हम पर अपनाओ। हमें पुन: अपने पुराने अस्‍तित्‍व में पुनर्जीवित होने दो । कोई तो सुध लो हमारी। मध्‍यप्रदेश पुरातत्‍व विभाग ने अब तक जो किया वह अच्‍छा, लेकिन जो वो नहीं कर पा रहा, उस बारे में कोई सोचे तो कितना अच्‍छा हो…….


मंगलवार, 8 अगस्त 2017

साहब, कुछ तो पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के नाम का खयाल करते....?

रो.रामदेव भारद्वाजचुनौतियां कम नहींसंदर्भ हिन्‍दी विश्‍वविद्यालय : डॉ. मयंक चतुर्वेदी

अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय को आखिरकार नए कुलपति प्रो.रामदेव भारद्वाज के रूप में मिल गए। इसी के साथ लम्‍बे समय से कुलपति के लिए चल रहा इंतजार समाप्‍त हुआ । किंतु इसी के साथ जो इस विश्‍वविद्यालय को गढ़ने का वृहत्तर कार्य उनके कंधों पर आन पढ़ा हैवह किसी चुनौती से कम नहीं है। वस्‍तुत: यह चुनौती इसलिए है क्‍योंकि कई मोर्चों पर अभी इस हिन्‍दी विश्‍वविद्यालय का कायाकल्‍प करने हेतु कार्य किया जाना शेष है।

पूर्व में माखनलाल चतुर्वेदी राष्‍ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्‍वविद्यालय के कुलाधिसचिव एवं भोज मुक्‍त विश्‍वविद्यालय के निदेशक रहे प्रो. रामदेव भारद्वाज ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि सार्थक और सकारात्मक सोच के साथ जब कोई भी कार्य किया जाएगा तो उससे समाज और देश का उत्थान होगा। वास्‍तव में उनके इस विचार से यह तो ठीक से समझ आ जाता है कि वे किस प्रकार के आग्रही और कैसी सोच रखनेवाले व्‍यक्‍ति हैं। सही भी हैहमें ओर समुची दुनिया को विस्‍तार देने का कार्य सोच की सही दिशा में आगे बढ़ने के कारण ही संभव हो सका हैऔर जहां नकारात्‍मक सोच हैवहां चहुंओर विध्‍वंस भी आज सीधेतौर पर देखा जा रहा हैइसलिए भी भारद्वाज कोई भी कार्य करने की सही दिशा एवं आवश्‍यक शर्त को लेकर जो कहते हैं वह सही जान पढ़ता है।

अब जरा हिन्‍दी विश्‍वविद्यालय के बारे में भी जान लें। राज्‍य में हिन्‍दी विश्‍ववि़द्यालय मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 19 दिसम्बर 2011 को स्‍थापित किया गया। 30 जून 2012 को प्रो॰ मोहनलाल छीपा इस विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति नियुक्त हुए। 6 जून 2013 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इसकी आधारशि‍ला रखी । विश्वविद्यालय का उद्देश्‍य रखा गया विज्ञानतकनीकीचिकित्साकला और वाणिज्यमानविकी से जुड़े विषयों की शिक्षा हिन्‍दी में प्रदान करना। अगस्त 2013 से विश्वविद्यालय में शिक्षण कार्य प्रारम्भ कर दिया गया।

मोहनलाल छीपा जब यहां कुलपति बनाए गए तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौ‍ती थीपहले वे अपने यहां किन नए डिग्रीडिप्‍लोमा और प्रमाणपत्र पाठ्यक्रमों को आरंभ करें और उसके लिए आवश्‍यक कोर्ससिलेबस कितनी जल्‍दी तैयार कराये जा सकते हैं। प्रो. छीपा ने दिनरात एक करके नए विविध विषयों के पाठ्यक्रमों को तैयार करने में सफलता पाई। उनका शुरू से ही इस बात पर जोर था कि जब दुनिया के ताकतवर देशों में शुमार रूसइसराइलचीनजापानकोरियाऔर जर्मनी तथा अन्‍य वैश्‍विक राष्‍ट्रों में शिक्षा इन देशों की अपनी भाषा में दी जाती है और जिसकी प्राप्‍ति के बाद ये सभी देश तरक्की कर रहे हैं तो भारत में क्‍यों नहीं विज्ञानतकनीक एवं अन्‍य विषयों का अध्‍ययन हिन्‍दी में कराया जा सकता है जिस भाषा में विद्यार्थी स्‍वप्‍न देखता और विचार करता हैयदि उसी भाषा में उसे उच्‍च शिक्षा दी जाए तो वह निश्‍चित ही बहुत अधिक प्रतिभा सम्‍पन्‍न होकर अपने जीवन में श्रेष्‍ठता को प्राप्‍त करेगा।

प्रो. छीपा ने नए पाठ्यक्रम तैयार करने के साथ ही विज्ञान और तकनीक में हिन्‍दी भाषा में पुस्‍तक निर्माण की दिशा में बड़ा कार्य आरंभ किया जो अनवरत जारी है। डिग्री कोर्सेस में जैवविविधता में स्‍नातकोत्‍तरएलएलएममत्‍स्‍यकीबीएडइंजीनियरिंग में इलेक्ट्रिकलमकैनिकल एवं सिविल इंजिनियरिंग डिग्री और डिप्लोमा कोर्सों में दाखिला तथा इस क्षेत्र में करीब 250 सालों से कायम अंग्रेजी के वर्चस्व को तोड़ना उनके द्वारा अब तक किए गए संस्थापक कुलपति के रूप में वे स्‍थापित कार्य हैंवहीं योग के विविध पाठ्यक्रमगर्भ संस्‍कार तपोवन केंद्र जिनके लिए यह विश्‍वविद्यालय सदैव उन्‍हें याद करेगा। किंतु जो वह नहीं कर पाए वह हैंअपने यहां शिक्षक और अन्‍य कर्मचारियों की स्‍थायी भर्तीनियमित और संविदा आधारित। विश्‍वविद्यालय अभी भी राज्‍य उच्‍चशिक्षा विभाग के प्राध्‍यापकों के भरोसे ही चल रहा है। दूसरा जो बड़ा कार्य अब तक होना था वह था उसके अपने शिक्षा परिसर का निर्माण जोकि लम्‍बे समय से निर्माणाधीन ही है।

इसके अतिरिक्‍त जिस तरह की मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में हुए विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन 2015 में इस विश्‍वविद्यालय के विकास को लेकर घोषणाएं की थीं, उसके अनुरूप उन घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने के लिए जो कार्य होना चाहिए थादो वर्ष बीतने को हैं उस दिशा में कुछ भी कार्य संभव नहीं हो सका है। इस सम्‍मेलन में स्‍वयं मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह ने आगे होकर कहा था कि   मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर के संस्थान के तौर पर विकसित किया जाएगा।

इसके बाद मुख्‍यमंत्री शिवराजजी ने 18 अप्रैल 2017 को हुए इस विश्‍वविद्यालय के दीक्षान्‍त समारोह में उपस्‍थ‍ित छात्र-छात्राओं के बीच फिर एक बार अपनी बात को दोहराते हुए कहा था कि निज भाषा सब उन्नतियों का मूल है। हिन्दी के उदभट विद्वान के नाम पर देश का प्रथम हिन्दी विश्वविद्यालय प्रदेश की धरती पर है। यह गर्व का विषय है। विश्वविद्यालय की सभी जरूरत को पूरा किया जायेगा। यहां चिकत्‍सा पाठ्यक्रम शीघ्र शुरू होगा । मध्‍यप्रदेश की धरती पर संसाधनों की कमी प्रतिभा की उन्नति में बाधक नहीं बनने दी जाएगी। किंतु क्‍या ऐसा हकीकत में अब तक हुआ है इसका सीधा उत्‍तर हैनहीं हुआ । मुख्‍यमंत्री शिवराजजी ने जो कुछ भी कहा,वह विश्‍वहिन्‍दी सम्‍मेलन में किया गया उनका वायदा हो या फिर उसके बाद विविध कार्यक्रमों में प्रकट किए गए हिन्‍दी विश्‍वविद्यालय के पक्ष में उनके विचार। शासन ने अपने मुख्‍यमंत्री के कहे शब्‍दों की पूर्ति अब तक किसी भी कारण से ही सही नहीं की है।

यह हिन्‍दी विश्‍वविद्यालय एक बार में तो ऐसा प्रतीत होता है कि श्रद्धेय अटल जी के नाम का तिलक लगाकर अपने सौंदर्यबोध और आभा के प्रकटीकरण से उन परिस्‍थ‍ितियों में भी अब तक दूर बना हुआ हैजिसमें कि केंद्र से लेकर राज्‍य में उन्‍हीं अटल जी के तप से सिंचित सरकारें हैं। अभी जिस पुरानी विधानसभा परिसर में यह संचालित हैवह जर्जर अवस्‍था में है और पर्यटन निगम ने यहां अपना नवीनीकरण का कार्य आरंभ किया हुआ है। इसके चलते यह जहांगीराबाद स्थित शासकीय बेनजीर कॉलेज में शिफ्ट होने जा रहा है। लेकिन उसकी भी स्‍थ‍िति बहुत अच्‍छी नहींयानि की एक जर्जर अवस्‍था से निकलकर दूसरी अव्‍यवस्‍था के बीच इसके स्‍थान्‍तरित किए जाने की बात चल रही है।

वस्‍तुत: ऐसे में नए वीसी के सामने चुनौतियां अपार हैं। सबसे पहले उन्‍हें अपने यहां स्‍थायी कर्मचारियों के भर्ती किए जाने की आवश्‍यकता है। संस्‍था ने विज्ञान की डिग्री संबंधी पाठ्यक्रम तो शुरू कर दिएकिंतु उसने अपनी किसी एक विभाग की भी ठीक लेब अब तक विकसित नहीं है। प्रकाशन के स्‍तर पर जितना कार्य अन्‍य विश्‍वविद्यालयों ने कियाउस तुलना में यहां कार्य के प्रति न तो कोई स्‍थायी योजना दिखाई देती है और न ही कार्य । विश्‍वविद्यालय ने जो अपने रीजनल सेंटर खोले हैंउनका भी कार्य संतोषजनक नहीं माना जा सकता है।

यह भी इस विश्‍वविद्यालय के साथ एक बड़ा सच जुड़ा हुआ है कि आर्थि‍क स्‍तर पर शासन से जितनी अधिक मात्रा में इसे मदद मिलनी चाहिएवह इसे अब तक नहीं मिली है। पूर्व कुलपति अक्‍सर यह बात खुलकर भी कहते   रहेहमारे पास धन का बहुत अधिक अभाव हैहम चाहते तो बहुत कुछ करना हैं किंतु इस अभाव के चलते हम अपना श्रेष्‍ठ नहीं दे पा रहेजो परिस्‍थि‍तियां हैं उनके बीच जितना बेहतर कर सकते हैं वही करने का हमारा प्रयास सदैव से रहता है। वस्‍तुत: पूर्व कुलपति प्रो. छीपा की इन बातों में इस विश्‍वविद्यालय के प्रति शासन का यह नजरिया स्‍पष्‍ट समझ आ जाता है कि वह अपने इस विश्‍वविद्यालय से कितना प्रेम करता है और हिन्‍दी के प्रति मध्‍यप्रदेश शासन कितना समर्पित है ?

नए वीसी को सबसे ज्‍यादा जो कार्य करना होगा वह है, मध्‍यप्रदेश शासन से अधिक से अधिक रुपए इस विश्‍वविद्यालय के विकास के लिए प्राप्‍त करनाजोकि किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है। कहा जा सकता है कि नए कुलपति प्रो. रामदेव भारद्वाज के सामने यही सब चुनौतियां आज व्‍यापक स्‍तर पर विद्यमान हैं।

मोदी मन की राह..चल दिए शिवराज .....डॉ. मयंक चतुर्वेदी

भारतीय जनता पार्टी की सरकार में प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने यह सर्वविदित है कि एक के बाद एक नवाचारों को आरंभ किया है, उसमें से एक निर्णय जनता से सीधे जुड़ने का भी है। इस निर्णय को उन्‍होंने नाम दिया मन की बात। देखते ही देखते मन की बात आकाशवाणी पर प्रसारित किया जाने वाला एक ऐसा कार्यक्रम बन गया जिसके जरिये भारत के प्रधानमंत्री से देश के करोड़ों नागरिक सीधे जुड़े और देशभर के समाज सेवा के प्रकल्‍पों, समूह एवं व्‍यक्‍तियों के श्रेष्‍ठ उदाहरणों के माध्‍यम से श्रेष्‍ठ बनने की प्रेरणा लेने लगे। कार्यक्रम के पहले प्रसारण 3 अक्टूबर 2014 लेकर अब तक प्रसारित हो चुके 34 आयोजनों में शायद ही कोई भारत निर्माण का विषय ऐसा छूटा हो, जिस पर प्रधानमंत्री मोदी ने बेबाकी से अपनी बात न रखी हो।  जनता के द्वारा पूछे गए प्रश्‍नों के सीधे उत्‍तर नहीं दिए हों और सशक्‍त राष्‍ट्र के विकास में योगदान देने वालों का गुणगान न किया हो। मोदी पहले कार्यक्रम से लेकर अब तक राष्‍ट्र जागरण की दिशा में संवाद के माध्‍यम से अपने प्रयास करते रहे हैं जिसका कि कई जगह सकारात्‍मक असर भी इन दिनों दिख रहा है। इस प्रयोग से देश के सभी राज्‍यों में छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री रमन सिंह के बाद मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री अवश्‍य सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। रमन सिंह ने 'रमन के गोठ' के नाम से रेडियो प्रसारण शुरू किया है।

संभवत: यही वजह है कि प्रधानमंत्री की इस पहल को मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने स्‍तर पर अमलीजामा पहनाते हुए इन दिनों देखे जा सकते हैं। वैसे भी विधानसभा चुनाव अब दूर नहीं, हाल ही में भोपाल में हुई भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में और इससे पूर्व भी पार्टी की जितनी कार्यसमितियां हुई हैं, उनमें सभी पार्टीजनों ने एक स्‍वर में अपनी आगामी सरकार के लिए बतौर मुख्‍यमंत्री शिवराज को ही चुना है। 2018 में विधानसभा चुनाव होने हैं, इस बीच संगठन स्‍तर पर भी चुनाव के लिए अभी से तैयारियां करने के लिए कह दिया गया है। शायद यह भी वह कारण हो, जिसमें प्रदेश की जनता से सीधे संवाद स्‍थापित कर शिवराज सिंह चौहान उन तक भाजपा सरकार की उपलब्‍धियों को पहुंचाना चा‍हते हों । इसलिए अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी प्रदेश की जनता से सीधे जुड़ेंने के लिए प्रतिमाह रेडियो कार्यक्रम का सहारा लेने का निर्णय ले लिया है।

मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज आगामी सप्‍ताह से मोदी के मन की बात के समानार्थी जैसे भावनात्‍मक शब्‍द दिल सेके माध्यम से प्रदेश के नागरिकों से सीधा संवाद करेंगे। इस संवाद में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लोगों से जुड़े विभिन्‍न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करेंगे और प्राथमिकतायें बतायेंगे।

मुख्‍यमंत्री कई दफे यह कह चुके हैं कि उनका स्‍वप्‍न स्‍वर्णिम मध्‍यप्रदेश है। इसके लिए ही वे आज से 6 वर्ष पहले अपने मुख्‍यमंत्री के पूर्व कार्यकाल में ही स्विर्णम म.प्र. के संकल्प के बिन्दु लेकर आए थे। उस वक्‍त में 14 मई 2010 का दिन मध्‍यप्रदेश के इतिहास में भी स्‍वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया, जब स्‍वर्णिम मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए आहूत की गई विधानसभा की विशेष बैठक में मुख्यमन्त्री ने घोषणाओं की एक लम्‍बी श्रंखला दृढ़ता के साथ प्रस्‍तुत की थी।

मुख्यमन्त्री ने मुख्यमन्त्री कन्यादान योजना के तहत कन्याओं को दो जाने वाली साहयता राशि को दोगुनी करने की घोषणा क साथ विस्थापित मछुआरों के लिए निम्‍नतम ब्याज पर कर्ज देने का ऐलान, किसानों की जमीन उद्योग के लिए खरीदने पर प्रति एकड़ समुचित मुआवजा दिए जाने की बात कही थी । उस वक्‍त विधानसभा में शिवराज ने कहा था कि किसानों को खेती हेतु इस सदन का मत है कि राज्य का ऐसा सर्वांगीण एवं समावेशी विकास हो, जिससे प्रदेशवासियों का जीवन उत्तरोत्तर समृद्ध एवं खुशहाल बने तथा उन्हें अपनी क्षमताओं के अनुरूप सर्वक्षेष्ठ कार्य करने और राष्ट्र के विकास में योगदान देने का अवसर प्राप्त हो। उक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह सदन संकल्प करता है कि हम प्रदेश में खेती को लाभ का धंधा बनायेंगे, मूलभूत सेवाओं के विस्तार के साथ अधोसंरचना का निरन्तर सृदृढ़ीकरण करेंगे, निवेश का अनुकूल वातावरण निर्मित करेंगे, सबको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध करायेंगे, महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक एवं सामान्य निर्धन वर्ग को सशक्त कर उनकी विकास में सक्रिय भागीदारी सुनिश्‍चित करेंगे, सुदृढ़ सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था बनाये रखेंगे तथा राज्य व्यवस्था का संचालक सुशासन के स्थापित सिद्धान्तों पर करेंगे।
इसी के साथ मुख्‍यमंत्री जो सदन में संकल्प के बिन्दु लाए वो कुछ इस तरह से थे :-

प्रदेश की विकास दर को 9 से 10 प्रतिशत तक रखे जाने का प्रयास किया जाये । चौबीस घंटे सिंगल फैस विद्युत प्रदाय तथा कृषि कार्यों के लिए 8 घंटे बिजली प्रदाय हेतु फीडर विभक्तिकरण सहित आवश्यक अधोसंरचना निर्मित की जाये। बिजली की उपलब्धता तथा गुणवत्ता में सुधार एवं बिजली की दरों में कमी करने के उद्देश्य से समग्र तकनीकी एवं वाणिज्यक हानियों में 9 प्रतिशत की कमी लायी जाये। प्रदेश में बिजली आपूर्ति की स्थिति में सुधार के लिए वर्तमान में स्थापित कुल क्षमता में न्यूनतम 5000 मेगावाट की वृद्धि की जाए। गैर अपरम्परागत ऊर्जा के उत्पादन, उपकरणों एवं ऊर्जा संरक्षण के उपायों के प्रोत्साहन के लिए अनुदान की व्यवस्था की जाये।प्रदेश से संभागीय मुख्यालयों को 4 लेन एवं जिला मुख्यालयों को 2 लेन सड़कों से जोड़ा जाये, सभी ग्राम को बारहमासी संपर्क सड़कों से जोड़ा जायेगा। चि‍ह्नित राजमार्गों के समुचित संधारण के लिए स्टेट हाइवे फण्ड का निर्माण किया जाये। शासकीय भवनों के निर्माण के लिए परियोजना क्रियान्वयन इकाइयों का गठन किया जाये। सुनियोजित विकास के लिए सभी शहरों के सिटी डेवेलपमेंट प्लान तैयार कराये जायें।

संकल्‍प पत्र में यह भी जोड़ा गया कि नगरीय क्षेत्रों के विकास के लिए अधोसंरचना बोर्ड का गठन किया जाये। सभी नगरीय निकायों के फायर ब्रिगेड की सुविधा उपलब्ध करायी जाये। इन्दौर एवं भोपाल में मैट्रो ट्रेन फिजिबिलटी सर्वे कराया जाये। ग्रामीण क्षेत्र की पेयजल समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमन्त्री पेयजल योजना प्रारम्भ की जाए। प्रत्येक ग्राम का मास्टर प्लान बनाया जाये। आगामी 3 वर्षों में प्रत्येक ग्राम पंचायत में पंचायत भवन का निर्माण किया जाए। आगामी वर्षों में सिंचाई की स्थापित क्षमता में वृद्धि की जाए। सिंचाई की स्थापित क्षमता के समुचित उपयोग के लिए कमाण्ड एरिया डेवलपमेण्ट प्रेाग्राम सिहत सभी कारगर उपाय किये जाएं। वैज्ञानिक आधारों पर जल के युक्तियुक्त दोहन की योजना बनायी जाए।वैज्ञानिक कृषि के लिए मृदा स्वास्थ्य पत्रक (सॉइल हेल्थ कार्ड ) तैयार किये जायें।किसानों को देय अनुदान की राशि सीधे उनके खातों में जमा की जाये। उद्यानिकी फसलों के क्षेफल में 5 लाख हेक्टेयर की वृद्धि की जाए। भण्डारगृह क्षमता तथा सुदृढ़ विपणन व्यवस्था के साथ प्रदेश को लाजिस्टिक हब के रूप में विकसित किया जाये।

इतना ही नहीं तो मुख्‍यमंत्री ने इस संकल्‍प पत्र में यह भी जुड़वाया कि प्रदेश की विपणन सहकारी संस्थाओं को सृदृढ़ किया जाए। प्रदेश के सभी पात्र किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया जाए। चिन्‍हित विकास खण्ड़ों में चलित पशु चिकित्सालय चलाये जायें। दुग्ध क्रान्ति लाने के उद्देश्य से दुग्ध समितियों के गठन के साथ नये मिल्क रूट विकसित किए जाएं। किसान क्रेडिट कार्ड के अनुरूप फिशरमेन क्रेडिट कार्ड पर तीन प्रतिशत ब्याज दर पर कार्यशील पुंजी हेतु ऋण उपलब्ध कराया जाये। मछुआरों की मजदूरी दरों में वृद्धि की जाए तथा प्रभावित मछुआरों के पुनर्वास की नई नीति बनाई जाये। वन आधारित रोजगार को बढ़ाने के लिए वनों में टसर, लाख एवं चारागाह का विकास किया जाये। वन्य जीवों के संरक्षण का कार्य प्रभावी तरीके से किया जाये। पुनर्वास नीति का समग्र पुनरीक्षण कर किसानों के हितों का संरक्षण सुनिश्‍चित हो । भावी परियोजनाओं में किसान की भूमि का अर्जन पांच लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से कम दर पर नहीं किया जाए। पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप में अभी तक हुए निवेश में दुगनी वृद्धि की जाये। खनिजों का मूल्यों संवर्धन प्रदेश में ही किये जाने को प्रोत्साहित करने की नीति बने।

रोजगार एवं आर्थ‍िक विकास के लिए यह संकल्‍प पत्र तय करता है कि दिल्ली-मुम्बई, भोपाल-इन्दौर, भोपाल-बीना, जबलपुर-कटनी-सतना-सिंगरौली औद्योगिक कॉरिडोर का योजनाबद्ध विकास किया जायेगा। प्रदेश में स्थापित होने वाले उद्योगों में सृजित रोजगार में यथासम्भव 50 प्रतिशत प्रदेश के मूल निवासियों को उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की जायेगी। प्रदेश में नियमित रूप से रोजगार मेलों का आयोजन किया जाये। समग्र समाजिक सुरक्षा कार्यक्रम बनाये जायें। शासकीय प्राधिकरण द्वारा आवंटित ईडब्ल्यूएस आवास एवं भूखण्डों के विक्रय-पत्रों व पट्टों को स्टाम्प शुल्क से छूट प्रदान की जाए। प्रत्येक आदिवासी विकास खण्डों में अंग्रेजी माध्यम की आश्रम शालायें संचालित की जाए। 50 से कम सीटों वाले आदिमजाति कल्याण विभाग के समस्त छात्रावासों को 50 सीटर छात्रावासों में परिवर्तित किया जायेगा । कपिलधारा से लाभान्वित अनुसूचित जाति के कृषकों को सिंचाई के लिए विद्युत, डीजल पम्प उपलब्ध कराया जाए।आगामी वषों  में सभी जिलों में पिछडे़ वर्ग के लिए 100 सीटर बालक छात्रावास उपलब्ध कराये जायें।

प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह ने अपनी शासकीय येाजनाओं में मुख्यमन्त्री कन्यादान योजना के अन्तर्गत राशि बढ़ाकर रूपये 10,000 किए जाने के प्रावधान पर जोर दिया ।प्रदेश में अटल बाल आयोग्य एवं पोषण मिशन की स्थापना की कही ।राज्य बीमारी सहायता निधि एवं दीनदयाल उपचार योजना के विस्तार का संकल्‍प दोहराया गया । शिशु मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर घटाने के प्रयासों पर जोर दिया गया । सकल प्रजनन दर पर गंभीर विचार हुआ । शिक्षा के स्‍तर को सुधारने के लिए आवश्यकतानुसार पांच किलोंमीटर के दायरे में हाईस्कूल की स्थापना काने का संकल्‍प दोहराया गया ।उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल पंजीयन अनुपात प्रतिशत को बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने पर जोर दिया गया। यहां गुणवत्तायुक्त व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए आईटीआई के सुदृढ़ीकरण एवं उन्नयन किए जाने की भी बात आई ।

इतना ही नहीं तो इस संकल्‍प पत्र में कहा गया कि प्रदेश की बहुविध बोलियों यथा- बुदेंली, मालवी, निमाडी, बघेली, बैगा, भीली कोरकू, गौण्डी आदि के विकास व संरक्षण का कार्य किया जाये। राज्य स्तर पर मेलों एवं वृहद् धार्मिक आयोजनों के विकास एवं संचालन के लिए प्राधिकरण गठित किया जाए। खेल सुविधाओं का विस्तार पंचायत स्तर तक किया जाये। मध्य प्रदेश खेल प्राधिकरण का गठन किया जाये। पुलिस बल में चरणबद्ध तरीके से वृद्धि की जाए तथा इण्डिया रिजर्व बटालियन का गठन किया जाये। सेना के भूतपूर्व सैनिकों की एक सुरक्षा वाहिनी का गठन किया जाये। अवैध वन कटाई, अवैध खनिज उत्खनन, बिजली चोरी, शासकीय भूमि पर अतिक्रमण रोकने तथा बीपीएल सूची में दर्ज अपात्र व्यक्तियों के नाम काटने के लिए प्रभावी कार्यवाही की जाये। राजस्व प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए भू-राजस्व संहिता में संशोधन किये जायें।ग्रामीण आबादी के पट्टे वितरित किये जाये। पंचायत सचिवों के जिला कैडर की स्थापना की जाये। ग्रामीण क्षेत्रों में आवास की समस्या के समाधान के लिए मुख्यमन्त्री ग्रामीण आवास मिशन आरम्भ किया जाये।सार्वजनिक वितरण प्रणाली हेतु बार कोडेड फूड कूपन योजना लागू की जाये।राशन की दुकान प्रत्येक कार्य दिवस को खुली रखी जाए।

शिवराज के इस संकल्‍प पत्र में यहां तक कहा गया कि उनकी सरकार को तकनीतिक का इस्‍तेमाल किस स्‍तर तक जाकर करना है। यहां कहा गया कि पारदर्शी, जबावदेह एवं संवेदनशील प्रशासन स्थापित करने के लिए व्यवस्था के लिए सूचना प्रौद्यागिकी का अधिकाधिक उपयोग किया जाए। एकीकृत वित्तीय प्रबंध सूचना प्रणाली स्थापित की जाए। राज्य में वांछित प्रशासनिक व्यवस्था में निरन्तर सुधार की अनुशांसाऐंक रने का उत्तरदायित्व अटल बिहारी वाजपेई लोक प्रशासन संस्थान को सौंपा जाये। प्रशासनिक अमले को पुरस्कृत एवं दण्डित करने की प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जाये। सिटीजन चार्टर को लोक सेवाओं के प्रदाय की गारण्टी अधिनियम के रूप में लागू किया जायें। शासकीय खरीदी पारदर्शी एवं उचित दरों पर करने के लिए वर्तमान व्यवस्था में यथोचित परिवर्तन किये जायें।

साथ में शिवराज सरकार ने अपने इस संकल्‍प पत्र के माध्‍यम से केंद्र सरकार की ओर भी सहयोग के लिए आग्रह किया है। जिसमें कि यह भी प्रस्तावित किया गया कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करें कि कृषि उत्पादों का वायदा बाजार पूर्णत : बन्द करने, प्रदेश के बीपीएल परिवारों की वास्तविक संख्या के अनुसार खाद्यान्न आवंटित करने, आवासहीनों की संख्या के अनुरूप इन्दिरा आवास योजना में राशि प्रदान करने, ताप विद्युतगृहों की आवश्यकता के अनुरूप उचित गुणवत्ता का कोयला प्रदान करने, प्रदेश के वन क्षेत्रों के विकास के लिए उचित कार्य । शिक्षा का अधिकार अधिनियम की क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन दिये जाने, इन्दौर दाहोद एवं अन्य रेल लाईन निर्मित करने तथा विभिन्न विकास परियोजनाओं की पर्यावरण सम्बंधी अनुमातियां शीघ्र जारी किए जाने के लिए कहे।

वस्‍तुत: इस संकल्‍प पत्र के आए आज 7 साल बीत चुके हैं । इस बीच पुन: भाजपा की सरकार बनी और अब फिर वर्ष 2018 में भाजपा अपनी सरकार बनाने के लिए आश्‍वस्‍त दिख रही है। किंतु सरकार के स्‍तर पर पार्टी को भी समय बीतने के साथ यह समझ में आ गया लगता है कि जो संकल्‍प हमने सार्वजनिक रूप से लिए, यदि समय रहते उन्‍हें पूरा नहीं किया गया तो प्रदेश में पुन: सरकार बनाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा।  संभतया इ‍सलिए ही शिवराज शासन की नीतियों, कार्यक्रमों, योजनाओं और भविष्य की कार्य योजनाओं को आमजन से साझा करने के लिए इतने अधिक उत्‍साहित दिख रहे हैं । प्रदेश अपने मुख्‍यमंत्री का इस तरह का पहला कार्यक्रम 13 अगस्त की शाम 6.00 बजे सभी आकाशवाणी केन्द्रों से रिले होगे पर सुन सकता है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान इस कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं, महिलाओं, किसानों, मजदूरों, व्यापारियों सहित सभी वर्गों से जुड़ेंगे। यह कार्यक्रम श्री चौहान की उन भावनाओं की अभिव्यक्ति के रूप में होगा, जिसमें वे खुलकर जनता से बात करेंगे। उनके कल्याण के लिये अपनी आत्मीय भावनाओं और प्रतिबद्धता को प्रगट करेंगे।

अच्‍छी पहल, भारत में पर्यावरण सुधार के‍ लिए हो रहा राजमार्गों का उपयोग


भारत में जलवायु सुधार एवं पर्यावरण सुधार के लिए राष्‍ट्रीय राजमार्गों का भरपूर उपयोग इन दिनों मोदी सरकार कर रही है। हालांकि यह पूर्व में भी होता रहा है लेकिन इस समय इसमें पूर्व की अपेक्षा भारी सुधार हुआ है। देश में अधिकतम लोगों को सड़क से गुजरते वक्‍त स्‍वच्‍छ हवा मिले इसके लिए आसपास के वातावरण को हरा-भरा, स्‍वच्‍छ और प्रदूषण मुक्‍त बनाने के लिए भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पिछले साल 2.59 लाख वृक्ष लगाने में सफल रहा।

वृक्षारोपण को राजमार्ग विकास के अविभाज्‍य अंग के रूप में संस्‍थागत रूप प्रदान किये जाने का मोदी सरकार ने फैसला किया है। सरकार भारतीय राष्‍ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के जरिए वृक्षारोपण की प्रगति पर नजर रखने के लिए पीएमआईएस पोर्टल भी तैयार करने जा रही है। जिसे लेकर एनएचएआई के अध्‍यक्ष दीपक कुमार ने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिये हैं ।

इन निर्देशों में कहा गया कि वे वर्तमान मॉनसून के सीजन के दौरान कम से कम एक लाख वृक्ष लगाना सुनिश्चित करें। उन्‍हें रियायतग्राहियों, ठेकेदारों, सामाजिक संगठनों, वन विभाग और अन्‍य हितधारकों को भी साथ जोड़ने की सलाह दी गई है। इसी के साथ ही एनएचएआई के हरित राजमार्ग प्रभाग ने मॉनसून के सीजन में उगाई जा सकने वाली उपयुक्‍त प्रजातियों की सूची प्रसारित की है।

इस संबंध में यह भी बताया जा रहा है कि एनएचएआई राष्‍ट्रीय राजमार्गों को हरा-भरा, स्‍वच्‍छ और प्रदूषण मुक्‍त बनाने के लिए वृक्षारोपण अभियान मॉनसून के दौरान तो जारी रखेगा ही, उसके बाद भी वृक्षों को पानी देने और उनका रखरखाव करने जैसी नियमित गतिविधियों के रूप में अपने इस कार्य को आगे करता रहेगा। 

निश्‍चित रूप से मोदी सरकार के इस प्रयास की सराहना होनी चाहिए। हम जितने अधिक पौधे लगाएंगे वे हमारे पर्यावरण के लिए उतने ही उपयोगी सिद्ध होंगे। वैसे भी सरकार को ही क्‍यों पौधे लगाने चाहिए। देश के हर नागरिक का यह कर्तव्‍य है कि जितनी वह ऑक्‍सीजन लेता है और जितना प्रदूषण वह अपने मल, वाहन इत्‍यादि के माध्‍यम से करता है, उसके प्रभाव को नष्‍ट करने के लिए वह अपने हिस्‍से के पौधे लगाए ताकि भविष्‍य में वह इतनी ऑक्‍सीजन दे सकें कि हमारा वातावरण पूरी तरह स्‍वस्‍थ हो सके ।