पाकिस्तान एक ओर
पूरी दुनिया में यह कहकर अमेरिका, चीन
तथा अन्य यूरोपीय देशों का साथ पाने के लिए प्रयत्नशील रहता है कि वह अपने यहां
आतंकवादियों के खिलाफ युद्ध कर रहा है, लेकिन
दूसरी ओर उसकी भारत के मामले में कश्मीर को लेकर जो नीति है, उससे एक बार नहीं बार-बार यही जाहिर होता आया
है कि पाकिस्तान की मंशा आतंकवाद को सदैव पाले रखने की है। वह तमाम देशों से धन
उगाही के लिए अपनी कोख में आतंक को पाले रखना चाहता है। आज पाकिस्तान ने जिस तरह
आतंकी संगठन हिजबुल के मारे गए कमांडर बुरहान वानी और अन्य आतंकवादियों को
स्वतंत्रता सेनानी बताया है उससे दुनिया के सामने पाक का चेहरा बेनकाब हो गया है।
आतंकी संगठन
लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और जमात-उद-दावा संगठन के प्रमुख हाफिज सईद पाकिस्तान
में खुलेआम घूमता है। अमेरिका ने सईद को आतंकी घोषित कर उसके सिर पर एक करोड़ डॉलर
(करीब 67 करोड़ रुपये) का इनाम रखा है। उसके इस प्रकार बिना खौफ घूमने से भी यह
साबित होता है कि पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर दुनिया के सामने सिर्फ दिखावा करता
है।
यह भी समझ के परे
है कि ऐसी कौन सी कूटनीतिक विवशता है जिसके चलते अमेरिका बार-बार आतंक के सफाए के
नाम पर उसे धन मुहैया कराता है, जबकि
उसीके कई सांसद इस बात पर एतराज जता चुके हैं। इन सांसदों को भी लगता है कि
पाकिस्तान अमेरिका से मिलने वाले धन का उपयोग आतंक की समाप्ति के लिए नहीं बल्कि
भारत विरोध और जम्मू-कश्मीर में आतंक को पालने के लिए करता है।
पाकिस्तान में इन
दिनों बुरहान के मारे जाने के बाद से सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर स्यापा चल
रहा है, तथा वह जिस तरह से
आतंकवादियों को महिमामंडित करते हुए भारतीय सुरक्षा बलों पर कश्मीर में सरकारी
आतंकवाद अंजाम देने का आरोप पाकिस्तान लगा रहा है, उसकी इस मंशा ने भी भारत के उन आरोपों को
साबित कर दिया है, जिसमें भारत की ओर से कई बार यह बताया गया कि पाकिस्तान
आतंकवाद को लगातार प्रश्रय देने तथा उसे बढ़ाने में लगा है तथा आजादी की आवाज भारत
में नहीं सबसे ज्यादा उसी के यहां बुलंद है।
पाकिस्तान की नजर
में जम्मू-कश्मीर में हिजबुल कमांडर वानी एवं अन्य आतंकवादियों द्वारा
"आजादी की जंग " लड़ी जा रही थी, जिसमें कि वे शहीद हुए हैं। पाकिस्तान ओआईसी, पी-5 एवं ईयू के साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय
को भारतीय बलों द्वारा अत्याचार और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के बारे में बता
रहा है। लेकिन वह खुद क्या कर रहा है, यह
किसी को बताना नहीं चाहता, जबकि
सच्चाई यह है कि पाकिस्तान में लगातार कई इलाकों में आजाद होने के नारे लग रहे
हैं।
वस्तुत: भारत के कश्मीर
को लेकर दुनियाभर में रोने वाला, उसके
खुद के यहां पाक अधिकृत कश्मीर में कश्मीरियों पर जुल्म ढाता है, ये आज सारी दुनिया जानती है। पाकिस्तान का सच
ये है कि पंजाब प्रांत को छोड़कर उसके सभी सूबों में आजादी के लिए संघर्ष चल रहा
है । सिंध प्रांत में नारे लग रहे हैं ‘हम
लेकर रहेंगे आजादी’ । यहां के लोगों ने यह
नारा इसलिए बुलंद किया है, क्योंकि
पाकिस्तान का 70 फीसदी टैक्स सिंध से आता है। सिंध में पाकिस्तान के प्राकृतिक गैस
का 69 फीसदी उत्पादन होता है। पाकिस्तान के 75 फीसदी कच्चे तेल का उत्पादन सिंध
करता है फिर भी सिंध पाकिस्तान के सबसे पिछड़े सूबों में से एक है।
आजादी का ये संघर्ष
पाकिस्तान के सिंध से भी कहीं ज्यादा तीखा बलूचिस्तान में है। बलूचिस्तान में आए
दिन पाकिस्तान विरोधी आंदोलन और आजादी की मांग को लेकर प्रदर्शन होते रहते हैं। ये
बलूचिस्तान के वो लोग हैं जो किसी भी कीमत पर पाकिस्तान से अलग हो जाना चाहते हैं।
ये पाकिस्तान को पाकिस्तान नहीं टेररिस्तान मानते हैं।
पाक अधिकृत कश्मीर
(पीओके) के साथ उपनिवेश की तरह बर्ताव करता है। चीन के साथ मिलकर एक सोची समझी
साजिश के तहत वो इस जन्नत को लूट रहा है। इससे यहां के लोगों में जबर्दस्त गुस्सा
है, जिसे पाकिस्तान ताकत से
दबाता है। हाल ही में यहां के लोगों के बर्बर दमन की तस्वीरें भी सामने आई हैं।
वहीं इसका सिंध, बलूचिस्तान, पीओके के अलावा फाटा भी महत्वपूर्ण क्षेत्र
हैं जहां भी पाकिस्तान के खिलाफ संघर्ष चल रहा है। पाकिस्तान के इस उत्तरी-पश्चिमी
इलाके में पाकिस्तानी सेना, स्थानीय
लोगों और तालिबान के बीच कई सालों से संघर्ष चल रहा है।
पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने जिस तरह इस हिजबुल मुजाहिदीन के कुख्यात आतंकी बुरहान
वानी की मौत के बाद उसकी मौत पर शोक जताया है, उससे साफ झलकता है कि पाकिस्तान की मंशा
सिर्फ आतंकवाद को प्रश्रय देने और भारत की शांति को लगातार भंग करते रहने की ही
है। उसके हालिया उठाए गए कदम एक बार फिर आतंकवाद के प्रति प्रेम को ही जग जाहिर
करते हैं।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (17-07-2016) को "धरती पर हरियाली छाई" (चर्चा अंक-2405) पर भी होगी।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'