रामभुलावन हर रोज
की तरह सुबह, दूध
लेता हुआ घर आया। मैंने दरवाजा खोला और जैसे ही उसने मुझे सामने देखा वह तपाक से बोला, आपको पता है साहब? मैंने कहा क्या? इस पर उसने उत्सुकता और उत्साह से कहा, हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री जी, मंत्रिमंडल विस्तार के बाद सभी मंत्रियों को
टीमवर्क के फंडे बताएंगे।
रामभुलावन की बात
सुनकर मैं बोला, इसमें
अचरज की क्या बात है ? वे प्रदेश के मुखिया हैं, उनका मार्गदर्शन सभी को समय-समय पर मिलना ही
चाहिए, तभी तो प्रदेश का समुचित विकास होगा। इसमें इतना आश्चर्य
क्यों होना चाहिए। अब, रामभुलावन
का चेहरा देखने की बारी थी, लग रहा था कि उसे मुझसे इस प्रकार के उत्तर की उम्मीद तो कतई नहीं थी।
उसने मासूमियतभरे लहजे में कहा, साहब मेरा मतलब वो नहीं है। मैं तो बस आपसे......
अरे भाई आपसे क्या, सही-सही बोलो, क्या कहना चाहते हो रामभुलावन ।
अब रामभुलावन की
बारी थी अपने मन की व्यथा कथा एक स्वर में और एक ही बार में कह देने की। बड़ी ही
हड़बड़ाहट के साथ जल्दी-जल्दी उसने कहना शुरू किया।
मैंने कहा, आराम से अपनी बात कहो, रामभुलावन हम कहीं भाग नहीं रहे हैं, तुम्हारी कही बात सुने वगैर मैं ऑफिस नहीं
जाने वाला हूं। इतना सुनते ही उसने अपनी बोलने की स्पीड को धीरे कर दिया और कहना
जारी रखा....
उसने कहा, देखो साहब, मुख्यमंत्री जी, किसी को पहली बार तो यह बता नहीं रहे हैं, कि क्या करना चाहिए, कैसे करना चाहिए और क्यों करना चाहिए। इससे
पहले भी वे कई बार प्रदेश के मंत्रियों, अपनी पार्टी के नेताओं और अधिकारियों को यह बता चुके हैं कि प्रदेश के
विकास के लिए किस प्रकार से काम करने की जरूरत है। कोई आपात स्थिति आ जाए तो
उससे कैसे बचा जा सकता है। लेकिन साहब... अटकते और संकोचभरे बहुत
ही धीमें स्वर में रामभुलावन ने कहा, उनकी सुनता कौन है, साहब?
मैंने कहा, ऐसे नहीं कहते अपने मुख्यमंत्री जी के लिए।
वे प्रदेश के मुखिया हैं, कोई उनकी क्यों नहीं सुनेगा। सभी सुनते हैं, उनकी।
रामभुलावन को लगा
कि शायद मुझे उसका यह कहना पसंद नहीं आया कि मुख्यमंत्री जी की कोई सुनता नहीं ।
उसने अपनी बात में सुधार करते हुए कहा, साहब मैं तो यह कह रहा था कि फंडे बताना अच्छी बात है मगर...... ?
मगर क्या? यह पूछे जाने पर उसने संवाद को निरंतर बनाते
हुए कहा, साहब, मुख्यमंत्री जी, ने तो कई दफा, अपने मंत्रीमण्डल के साथियों समेत सभी को
बताया है कि प्रदेश को किस रास्ते पर चलाकर देहिक, दैविक और भौतिक ताप से उसे बचाना है। पर क्या
आपने नहीं देखा कि कितनी बार उनकी कही बातों को गंभीरता से लिया गया है। चलो इस बार टीमवर्क, टीमस्प्रिट, गुड गवर्नेंस, पारदर्शी व्यवस्था और प्रभार के जिले में काम
करने को लेकर मुख्यमंत्री अपने साथियों से बात करेंगे। इसके पहले का क्या ?
मैंने कहा, भाई रामभुलावन पहले की बातों को गोली मारो, आगे की सोचो और वर्तमान को जीओ, मैं आगे कुछ ओर बोल पाता उससे पहले ही उसने
मेरी बात को बीच में काटते हुए कहा....
साहब, यह तो सरासर गलत बात है, आप भूल गए कि अतीत से वर्तमान और आज से ही
हमारा कल बनेगा। मैंने कहा, नहीं भूला हूं, अबकि
बार मेरे डिफेंस होने का मौका था, उसने अपना बोलना जारी रखा...
साहब, आपको पता है जब मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ था, उसके तुरंत बाद ही मुख्यमंत्री जी ने सभी
मंत्रियों से बेहतर कार्य करने की सख्त हिदायत देते हुए कहा था कि उन्हें हर तीन
माह में अपने विभाग की प्रगति रिपोर्ट देनी होगी और उनके कार्य निष्पादन की
समीक्षा भी की जाएगी। साथ ही मंत्रियों को महीने में दो दिन अपने प्रभार वाले
जिलों में रहने का आदेश भी दिया गया । क्योंकि गत ढाई साल में बड़ी तादाद में इस
बात की शिकायतें मिलीं कि मंत्री अपने प्रभार वाले जिले में नहीं जाते हैं। उस समय
उन्होंने यह भी कहा था कि प्रदेश की साढ़े सात करोड़ जनता के हित में काम करना
सरकार की जिम्मेदारी है। किसी का कोई व्यक्तिगत एजेंडा नहीं होना चाहिए।
साहब जी, इसके पहले मुख्यमंत्री जी ने सरकारी विभागों
पर मंत्रियों को पकड़ मजबूत करने के लिए कहा था। मुख्यमंत्री खुद विभागों की
समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि अब पहले मंत्री जनता से जुड़े विभागों में
कसावट लाएं। क्यों कि जब मुख्यमंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा
कर रहे थे तो वे ग्रामीण विकास विभाग की व्यवस्थाओं से नाखुश थे। तब, मुख्यमंत्री जी ने यहां तक कह दिया था कि
योजनाएं तो हैं, लेकिन
उनका क्रियान्वयन कितना हो रहा है यह देखना जरूरी है। मैदान में जा रहा हूं तो
वहां जुदा हाल दिख रहा है।
रामभुलावन ने अपनी
बात पर जोर देते हुए और बातों से बातें मिलाकर मुझसे तेज आवाज में कहा, साहब आपको पता नहीं, इससे पहले सीएम ने अधिकारियों का काम के दौरान
सोशल साइट्स के प्रयोग पर नाराजगी जाहिर की थी। मुख्यमंत्री जी ने अधिकारियों को
सख्त हिदायत दी थी कि वो काम के समय सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखें।
साहब, यदि हम इससे भी ओर पहले की बात करें तो
मुख्यमंत्री जी ने सभी विधायकों को विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा
समय बिताने की हिदायत दी थी। उन्होंने तो सीधे-सीधे यहां तक कहा था कि वे
शिकायतों से ज्यादा काम पर ध्यान दें।
इन सभी से इतर मुख्यमंत्री
जी ने सभी विभाग, संचालनालय, निगम, उपक्रम या अर्ध शासकीय संस्थान में कोई भी
कार्यवाही अंग्रेजी में होती पाई जाती है तो उसे शासन के आदेशों की गंभीर अवहेलना
तथा कदाचरण माना जाकर संबंधित अधिकारी के विरुद्ध सख्त अनुशासनात्मक कार्यवाही
करने की बात कही थी। उक्त हिदायत सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से सभी विभागों, संभागायुक्तों, जिला कलेक्टरों एवं सीईओ जिला पंचायतों को
जारी की गई थी। जिसमें यह भी कहा गया था कि दैनिक सरकारी कामकाज, पत्र-व्यवहार,निमंत्रण पत्र, नामपट्ट, सूचनायें, समाचार-पत्रों में निविदायें, विज्ञप्तियां आदि के प्रकाशन तथा केंद्र और
राज्यों से सम्पर्क में अंग्रेजी का उपयोग नहीं होगा। सभी शासकीय कार्य, पत्रव्यवहार अनिवार्यत: राजभाषा हिन्दी में ही
किया जायेगा।
रामभुलावन इतना सब
कहने के बाद भी चुप नहीं हुआ, वह बोले ही जा रहा था... उसने आगे कहा साहब, मुख्यमंत्री जी ने तो भ्रष्टाचार के प्रति
जीरो टॉलरेंस रखने के इरादे जाहिर किए हैं। प्रदेश सरकार ने हर काम को पूरा करने
की समय सीमा तय की है। ईमानदार अधिकारियों को प्रोत्साहन देने की बात कही जाती रही
है और उन्होंने वित्तीय अनुशासन की अनदेखी नहीं किए जाने की अपनी इच्छा भी जाहिर
की है। स्वच्छ और
पारदर्शी प्रशासन की व्यवस्था बनाने का वह स्वप्न देखते हैं और इसे हकीकत में
बदलने के लिए रात-दिन प्रयासरत हैं। विभागीय जांच समय-सीमा में निपटाए जाने की बात
वे कई बार कर चुके हैं। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं
किया जाएगा यह भी हमारे मुख्यमंत्री जी कई बार कह ही चुके हैं । मुख्यमंत्री जी
ने कई बार सभी कलेक्टरों से कहा है कि सरकारी योजनाओं का लाभ निचले स्तर पर सभी
पात्र लोगों को मिलना चाहिए। इन योजनाओं के क्रियान्वयन में यदि निचले स्तर पर
अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायत मिलती है तो इसके लिए जिला पंचायतों के सीईओ और
कलेक्टरों की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
इसके वाबजूद आज का सच क्या है साहब, बारिस के मौसम ने एक झटके में निर्माण कार्यों
की गुणवत्ता की पोल खोल दी है। अब, ज्यादा मत कहलवाओ साहब, जनता सब जानती है।
काम के वायदे ही होते हैं। इरादे नहीं।
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