दक्षिण
सूडान
में जारी गृह युद्ध में फंसे सैकड़ों भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत
सरकार द्वारा शुरू किए गए अभियान 'ऑपरेशन
संकट मोचन' की
जितनी तारीफ
की जाए उतनी ही कम होगी। केंद्र की भाजपा सरकार के साथ विशेषकर सुषमा स्वराज और वी.के.
सिंह भी इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि उन्हें विदेश में रह
रहे भारतीयों का दुख-दर्द तत्परता से दिखाई देता है, नहीं तो कई देश ऐसे
भी हैं कि वे अपने नागरिकों की चिंता इतनी मुस्तैदी और त्वरितता से
सभी संसाधन होने के बाद भी नहीं कर पाते हैं।
'ऑपरेशन संकट मोचन' विदेश
मंत्रालय ने रक्षा मंत्रालय के सहयोग से चलाया हुआ है। दक्षिण सूडान
से भारतीयों को एयरलिफ्ट करने के लिए चलाए जा रहे अभियान के तहत अपनी टीम
के साथ विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह जूबा में डटे हुए हैं। पिछले
साल वे अपने सफल नैतृत्व के जरिए युद्धग्रस्त यमन से 5000 भारतीयों के
साथ अपने पड़ौसी मुल्कों के नागरिकों को सुरक्षित निकाल पाने में सफल रह
चुके हैं। ऐसा ही एक वाकया और पिछले वर्ष का है, जब हज के दौरान पवित्र शहर मक्का में 24 सितंबर को हुई भगदड़ में 769 जायरीनों की
मौत हुई थी।
जिसमें कि 58 भारतीय
नागरिकों की मौत होने के साथ ही 78
लोग
लापता हो गए
थे, जो
गायब थे उनकी खोज-खबर लेने और मृतकों के शरीर को सुरक्षित भारत लाने में
जनरल वीके सिंह की भूमिका अहम रही थी ।
इस
बार
पहले दस्तेह में वे अपने 146
से
अधिक नागरिकों को दक्षिण सूडान की राजधानी जूबा से सुरक्षित निकाल लाए हैं। एक अनुमान के मुताबिक, जूबा व इसके आसपास
के इलाकों में 600 या
अधिकतम 1000 भारतीय
हो सकते हैं। हालांकि,
अभी
तक भारतीय दूतावास के पास सिर्फ 300
भारतीयों
ने ही वापसी के लिए अपना
पंजीयन
कराया है।
इस बीच,
सूडान
में फंसे भरतीयों
में
से कई ऐसे भी हैं, जोकि
इस मिशन के जरिए भारत आने में रूचि नहीं ले रहे हैं, लेकिन सच यही
है कि जो हालात इन दिनों दक्षिण सूडान के हैं, उनको
देखकर
नहीं लग रहा कि आगामी कई दिनों बाद तक भी यहां की स्थिति सामान्य हों
पाएंगी। विदेश मंत्रालय में पंजीयन कराने के बावजूद बहुत सारे भारतीय जो
स्वदेश वापसी से इन्कार कर रहे हैं,
उन्हें
भी यह समझना होगा
कि
ज्यादा हालात खराब होने के बाद भारत सरकार भी चाहकर उन्हें यहां से बाहर नहीं
निकाल पाएगी, क्यों
कि हर देश की अपनी संप्रभुता होती हैं।
विदेश
मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा ट्विटर के जरिये की गई अपील पर उन सभी भारतीयों को गंभीरता से
सोचना चाहिए
जोकि
अभी भी विपरीत परिस्थितियों के वाबजूद भी दक्षिण सूडान में रहने की जिद पर अड़े
हुए हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सीधे ट्वीट के माध्यमों से इन सभी से
जुड़कर यह कहने की कोशिश की है कि आगे हालात और खराब होने पर आपको निकाल
पाना हमारे लिए संभव नहीं होगा,
और
यही वह सच्चाई है, जिसे दक्षिण सूडान
में जान की कीमत पर रह रहे भारतीयों को समझनी होगी। क्यों कि जीवन से
बढ़कर कुछ नहीं सिर्फ ‘स्वदेश’ होता है।
sundar sir
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (16-07-2016) को "धरती पर हरियाली छाई" (चर्चा अंक-2405) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद शास्त्री जी, आप हमारी चिंता कर रहे हैं। मेरे लेखन के लिए इससे बड़ा प्रोत्साहन ओर कोई नहीं हो सकता कि आप जैसे धीर गंभीर व्यक्तित्व एवं साहित्यकार मुझे नियमित पढ़ रहे हैंं।
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