शुक्रवार, 19 जनवरी 2018

भारत का अर्थ‍िक महाशक्‍ति बनने के लिए बढ़ते कदम

हिन्‍दुस्‍तान को लेकर जिस तरह की उत्‍साहवर्धक बातें कई दिनों बाद फिर से सुनने को मिल रही हैं, उनसे अब यह तय हो गया है कि आज से एक वर्ष पहले विमुद्रीकरण के बाद तत्‍काल में जो स्‍थ‍िति बनी थीउससे भारत अब बाहर आ चुका है। यही कारण है कि विश्‍व बैंकनीति आयोग, अन्‍य आर्थ‍िक सर्वे आज एक स्‍वर  से लगातार कह रहे हैं कि आनेवाला वक्‍त भारतीयों के लिए अच्‍छे दिन लानेवाला है।

विश्व बैंक कह रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्‍तमंत्री अरुण जेटली ने भारत में आर्थ‍िक सुधारों की दिशा में जो जीएसटी और अन्य सुधारों को लेकर कदम उठाए हैं उससे भारत की अर्थव्यवस्था का स्तर बढ़ेगा। विश्वबैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी क्रिस्टालीना जॉर्जिवा ने भारत में प्रति व्यक्ति आय बढ़ कर चार गुना होने को एक असाधारण उपलब्धि बताया है और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत को 30 स्थान की जंप करने की असाधारण उपलब्‍धी बतायाउनका तो यहां तक कहना था कि 15 साल पहले शुरू हुई इस रैंकिंग में इतनी जंप देखने को उन्‍हें पहले कभी नहीं मिली है।

दूसरी ओर सरकार का थिंक टैंक नीति आयोग है जिसका अपना काम करने का तरीका हैवह आज कह रहा है कि साल 2022 तक भारत गरीबीगंदगीभ्रष्टाचारआतंकवाद,जातिवाद और सांप्रदायिकतावाद से मुक्त हो जाएगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार का मानते हैा कि यदि भारत 2047 तक 8 फीसद की ग्रोथ के साथ बढ़ता रहा तो यह दुनिया की तीन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक देश बन जाएगा।  नीति आयोग वर्तमान हालातों को लेकर जिस तरह से भविष्‍य के आंकड़े प्रस्‍तुत करता हैउससे यह भी पता चलता है कि साल 2022 तक भारत पूरी तरह से कुपोषण से मुक्त हो जाएगा। वर्ष 2019 तक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत देश के हर गांव से सड़क संपर्क हो जाएगा । इसके अलावा साल 2022 तक भारत में 20 से ज्यादा वर्ल्ड क्लास हायर एजुकेशन इंस्टिट्यूशन होंगे। देश मेंनोटबंदी के बाद फर्जी कंपनियों की पहचान आसान हुई और 2 लाख 24 हजार फर्जी कंपनियों को सरकार ने पिछले दिनों रद्द किया है। वहीं 16 सौ 26 करोड़ रुपयों की बेमानी संपत्ति जप्‍त कर ली गई है।

भारत में वास्तविक जीडीपी विकास की औसत दर पिछले तीन वर्षों में 7.5 फीसदी रही है। देश में आज मुद्रास्फीति कम है।  महंगाई काबू में है।  विदेशी मुद्रा का भंडार 400अरब डॉलर से अधिक पर पहुंच गया है।  विदेश प्रत्यक्ष निवेश लगातार जारी है और इसके साथ ही सरकार राजकोषीय घाटे पर लगातार नज़र रखे हुए है। भारत का चालू खाता घाटा नियंत्रण में हैयह फिलहाल सेफ जोन में है और 2 फीसदी से नीचे है। वास्‍तव में यह सब नोटबंदी के कारण संभव हुआ है। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में चल रही केन्‍द्र सरकार के कार्यकाल में एक भी घोटाला नहीं हुआ है । विमुद्रीकरण के बाद ही आयकर दाताओं की संख्‍या में 26.6 प्रतिशत की बढ़ोत्‍तरी हुई। कश्‍मीर में पत्‍थरबाजी,नक्‍सलवाद और देहव्‍यापार में कमी आई है। इंश्‍योरेंस में बढ़ोत्‍तरी के साथ ही डिजीटल पेंमेंट में बढ़ोत्‍तरी हुई है। प्रधानमंत्री के द्वारा डिजिटल पेमेंट पर जोर देने का ही यह परिणाम है कि इस दिशा में अब 1000 करोड़ तक डिजिटल पेमेंट किया जा रहा है। इसका सबसे अच्‍छा फायदा यह हुआ है कि सरकार यदि गरीबों के लिए 1 हजार रुपए देती है तो वह सीधे उस तक 1 हजार रुपए ही पहुंचते हैंइस तरह बीच में बिचौलियों का खेल समाप्‍त करने का प्रयास हुआ है।  

यह सरकार की सकारात्‍मक नीतियां ही हैं जो आज घर खरीदना आसान हुआ है, क्‍योंकि बैंकों ने ब्‍याज दरें घटायी हैं। वेतन भुगतान के कानून में संशोधन किये जाने के बाद आज कर्मचारियों के खाते में सीधा भुगतान किया जा रहा है तो दूसरी तरफ पीएफ योजना में आज सक्रिय नियोजकों की संख्‍या बढ़कर 1 करोड़ 1 लाख हो गई है। जिसका सीधा अर्थ है कि अधिकांश कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को भविष्‍य निधि का लाभ देना शुरू कर दिया है। इसी प्रकार 1 करोड़ 3 लाख कर्मचारियों ने राज्‍य कर्मचारी बीमा में पंजीयन कराया है जिससे उनको सामाजिक सुरक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं का लाभ मिल रहा है।

मोदी सरकार की एक उपलब्‍ध‍ि यह भी है कि उनका रोजगार निर्माण पर पूरा ध्‍यान है अकेले मुद्रा योजना में दिये गये लोन से ही 4 करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। कई विदेशी कंपनियों के साथ स्‍टार्टअप में बढ़ोत्‍तरी तथा  अनेक नई कंपनियों ने कई लाख रोजगार का श्रजन आज भारत में किया है। आगे इस दिशा में आशा है कि सरकार के प्रश्रय से 50 लाख नौकरियां और पैदा होंगी । इस तरह से यदि देखें तो वर्तमान भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफल नेतृत्‍व में तेजी से आर्थ‍िक शक्‍ति बनने की ओर अग्रसर है।

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