गुरुवार, 25 जनवरी 2018

मध्‍यप्रदेश में महिला सुरक्षा से जुड़े प्रश्‍न : डॉ मयंक चतुर्वेदी

ध्‍यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त बनाने के लिये जीलाधीशों एवं पुलिस अधीक्षकों को निर्देश देते हुए कहा है कि महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता हैइसमें किसी भी तरह की कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। महिलाओं एवं बालिकाओं के प्रति अपराध की शिकायतों का तत्काल संज्ञान लिया जायेतुरंत परीक्षण कराकर एफआईआर दर्ज की जाये और जरूरी होने पर समय पर मेडिकल परीक्षण भी कराया जाये। महिला अपराधों में दोषी पाये गये अपराधी के ड्राईविंग लायसेंस भी निरस्त करने की कार्रवाई की जानी चाहिए। मुख्‍यमंत्री इतना कहकर ही नहीं रुके उन्‍होंने आगे कहासुरक्षा के उपायों के प्रति समाज के सभी वर्गों में जागरूकता बढ़ाई जाये। स्कूलकॉलेजछात्रावासकोचिंग सेंटर एवं बाल सम्प्रेषण गृहों आदि क्षेत्रों का भ्रमण कर सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित किये जायें। कलेक्टर कम से कम माह में एक बार पुलिस अधीक्षकमहिला बाल विकासस्वास्थ्य एवं नगरीय निकायों के अधिकारियों के साथ इस संबंध में बैठक करें। यह तो हुई एक प्रदेश के मुख्‍यमंत्री की प्रशासन को दी गई नसीहत और निर्देर्शों की बातकिंतु क्‍या इतनेभर से मध्‍यप्रदेश से महिलाओं के प्रति दिनप्रतिदिन होनेवाली दुर्घटनाओं में कमी आ जाएगी ?

देखाजाए तो प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को 14 वर्ष निरंतर कार्य करते हुए हो गए हैंइसके पहले कांग्रेस दिग्‍व‍िजय सिंह की सरकार के 10 वर्षों तक का शासनकाल रहा। कुल मिलाकर बीते 24 सालों में 7 दिसंबर 1993 दिग्‍विजय सिंह से शिवराज सिंह चौहान तक 4 मुख्‍यमंत्री रहे और अनगिनत गृहमंत्री बनते रहेलेकिन हर बार प्रत्‍येक मुख्‍यमंत्री और सभी गृहमंत्री अपने प्रशासन को यही निर्देश देते रहे हैंकिंतु महिलाओं को लेकर स्‍थ‍ितियां हैं की बदलने का नाम नहीं ले रहीं।  प्रदेश में दिनप्रतिदिन अपराध का ग्राफ बढ़ रहा हैमहिलाएं छोड़ि‍ए अबोध बालिकाएं इनके निशाने पर हैं। हर बार कांगेस के सत्‍ता पर रहने पर भाजपा कानून व्‍यवस्‍था को मुद्दा बनाती है तो इन दिनों कांग्रेस ने भाजपा सरकार के विरुद्ध प्रदेश में खराब कानून व्‍यवस्‍था को मुद्दा बना रखा हैपर दोनों ही स्‍थ‍ितियों में परिस्‍थ‍ितियां भयंकर ही हैं।

इस सब के बीच यदि कुछ तथ्‍यों पर प्रकाश डाला जाए तो वर्तमान में यह पूरी तरह स्‍पष्‍ट हो जाता है कि प्रदेश में महिलाओं से जुड़े अपराधों में निरंतर इजाफा हुआ है। आज यह राज्‍य बच्चों के विरुद्ध होने वाले अपराध के मामले में देश में दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की घटनाओं के मामलों में मध्य-प्रदेश की राजधानी भोपाल’ शीर्ष पर है। इस वर्ष 1 जनवरी से 31 मई तक राजधानी भोपाल’ में महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े 8 हजार 838 मामले दर्ज किए गए थेयह स्‍वीकारोक्‍ति मध्‍यप्रदेश के गृहमंत्री की है । भोपाल के बाद महिला पर हुए अपराधों के जबलपुर में 7 हजार 557इंदौर में 6 हजार 827उज्जैन में 5 हजार 236 और ग्वालियर में 5 हजार 76 मामले दर्ज हुए थे।

इसके पूर्व जब राज्‍य के गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह से विधानसभा में रामविलास रावत द्वारा इस संबंध में पूछा गया था तब उन्‍होंने बताया था कि मध्य प्रदेश में 13 महिलाओं को बलात्कार के बाद जान से मार दिया गया। जबकि14 ने खुदकुशी कर ली।  रेप पीड़ित महिलाओं में अनुसूचित जातिअनुसूचित जनजातिअन्य पिछड़ा वर्ग के अलावा सामान्‍य वर्ग की महिलाओं की संख्‍या भी बहुत ज्‍यादा पाई गई है। मई माह के बाद बीते छह माह में यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह संख्‍या निश्‍चित तौर पर इस आंकड़े के दौगुने को पार कर चुकी होगी।

मध्‍यप्रदेश में आज नहीं दो वर्ष पहले तक की स्‍थ‍िति भी देखें तो वह बच्‍चों के मामले में खासकर महिलाओं को लेकर एकदम प्रतिकूल ही दिखाई देती है। वर्ष-2015 के दौरान अपहरण के 5 हजार 306ज्यादती के 1 हजार 568 और हत्या के 124 मामले दर्ज किए गए गए थे। दुष्कृत्य की 391 घटनाएं हुईं। इनमें 35.7 प्रतिशत दुष्कृत्य की घटनाएं बच्चों के साथ हुईं। अभी हाल ही में मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल में एक माह के भीतर तीन बच्चियों से गैंगरेप जैसे अपराध सामने आ चुके हैंबलात्‍कार को लेकर जो आंकड़े आ रहे हैं वह मध्‍यप्रदेश में प्रतिदिन औसत 12 तक पहुंच चुका है। आखिर इसके क्‍या मायने लगाए जाएं ? राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की एक गत वर्ष आई रिपोर्ट 2015-16 के अनुसार यहां लड़कियों का विवाह 18 साल से कम उम्र में हुआ है उसका प्रतिशत इतना अधिक है कि यह राज्‍य बाल विवाह के मामले में देश के पहले 8 राज्यों में पहुंच गया है। सबसे अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में यह प्रतिशत 31.5 फीसदी है। स्‍त्री सशक्‍तिकरण को लेकर मध्‍यप्रदेश की वर्तमान स्‍थ‍ितियां किस प्रकार की हैंइसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि महिला सुरक्षा के लिए स्‍थापित गौरवी वन स्‍टॉप क्राइसिस रेसेल्युशन सेंटर द्वारा बीते कुछ सालों में 29 नाबालिग किशोरियों का प्रसव करवाया गया है।

सरकार के लाख जनजागरण अभियान के बाद भी अवांछित बेटियों को मारने का नया तरीका ढूंढ़ लिया गया है और वह है कोख में न मारते हुए उन्‍हें किसी झाड़ीतालाबनदीसुनसान क्षेत्र या कचरे के ढ़ेर में फेंक देनाफिर लावारिस पड़ी नवजात बच्‍चियों का भगवान ही मालिक हैकिसी भले की समय रहते नजर पड़ गई तो जीवन सुरक्षित हो गयानहीं तो अधिकांश में मौत के बाद शरीर का जानवरों द्वारा नोचे जाने के भीवत्‍स दृष्‍य उपस्‍थ‍ित हो उठता है । वस्‍तुत: ऐसे मामलों में जन्‍म के पहले से आरंभ हुआ यह संकट जिंदगी के लिए सबसे महत्‍वपूर्ण जन्‍म के बाद के  एक हजार घंटों तक चुनौती बना रहता है। कह सकते हैं कि हालात इतने बेकार हैं कि इसमें तुरंत व्‍यापक पैमाने पर सुधार की आवश्‍यकता है।

सरकार की अपनी जवाबदेही हैकिंतु सरकार के भरोसे समाज नहीं चलता । इन घटनाओं के बढ़ने के पीछे जो सबसे बड़ा कारण आज नजर आता हैवह है समाज की संवेदनशीलता में कमी आनालापरवाही और परंपरा में आनेवाली पुरुष पीढ़ी को महिलाओं के प्रति सम्‍मान की भावना का जाग्ररण कर पाने के भाव का तिरोहित होते जाना। वस्‍तुत: मध्‍यप्रदेश के वर्तमान मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने लाख प्रयत्‍न कर लें और अपने प्रशासन को इस दिशा में निरंतर,बार बार निर्देश देते रहेंसुधार तब तक असंभावी है जब तक कि स्‍त्रियों के प्रति असम्‍मान की मूल जड़ पर चोट न की जाए या उसके डीएनए में सुधार के प्रयत्‍न न हों। मध्‍यप्रदेश के हर चौराहेनामी मंदिरमस्‍जिद और मकबरे के बाहर भीख मांगता बचपनजवानी और बुढ़ापे को हम नजर अंदाज करते रहेंगे,रेलवे एवं अन्‍य स्‍टेशनोंघरों में काम करते नाबालिग बच्‍चों को हम सहज स्‍वीकारें नहीं तथा परिवार में जब तक परस्‍पर मान-सम्‍मान का भाव पैदा नहीं किया जाएगा मध्‍यप्रेदश में महिलाओं की स्‍थ‍िति में बिल्‍कुल भी सुधार आनेवाला नहीं हैफिर सत्‍ता के सूत्र किसी के भी हाथ में होंक्‍या फर्क पड़ता है ।   

लेखक न्‍यूज एजेंसी हिन्‍दुस्‍थान समाचार के मध्‍यप्रदेश ब्‍यूरो प्रमुख एवं केंद्रीय फिल्‍म सेंसर बोर्ड एडवाइजरी कमेटी के पूर्व सदस्‍य हैं।

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