प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह से एकाएक राष्ट्र के नाम संबोधन करते हुए देशभर से 500 और 1000 रुपए के नोट को बंद करने का एलान किया और उसके स्थान पर देश की जनता से परेशान न होते हुए अपने पास इस प्रकार की राशि को अपने बैंक तथा डाकघर में जमा करने की व्यवस्था दी है। उसकी जितनी प्रशंसा की जाए वह कम ही होगी। यह एक कदम कितना महत्वपूर्ण है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि बातों-बातों में और केंद्र सरकार के हर निर्णय एवं योजना में कोई न कोई कमी निकालने वाला विपक्ष प्रधानमंत्री के इस निर्णय को स्वागत योग्य कदम बता रहा है।
सरकार ने काले धन के खिलाफ एसआईटी बनाई, कानून बनाए, विदेशों का काला धन लाने के लिए समझौते भी किए किंतु ये सारे निर्णय जो मिलकर भी नहीं कर पा रहे थे वह सिर्फ इस एक सख्त उठाए गए कदम ने करके दिखा दिया है। हो सकता है कि कई रात वे सो ही नहीं पाएं जो भष्टाचार से आकण्ठ डूबे हुए हैं। किंतु यह भारत के लिए कितना बड़ा शुभ संकेत है, इसकी तो कल्पना करने भर से रोमांच हो उठता है। वस्तुत: प्रधानमंत्री के देश हित में इस प्रकार के एक के बाद एक लिए जा रहे निर्णय आज साफ संकेत दे रहे हैं कि भारत आने वाले दिनों में किस प्रकार का होगा। अब जरूरत इस बात की है कि देश के लोग इसे समझें और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में सरकार को अपना सहयोग प्रदान करें।
मोदी के लिए गए इस फैसले का महत्व राष्ट्रपति भवन से आई प्रतिक्रिया से भी समझा जा सकता है, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने प्रधानमंत्री की इस घोषणा को साहसिक कदम बताकर इसका स्वागत किया है। राष्ट्रपति का मानना है कि सरकार द्वारा उठाया गया यह निर्णय देश में काले धन और जाली नोटों को खोज निकालने में मदद करेगा। दूसरी ओर काले धन पर विशेष जांच दल (एसआईटी) के चेयरमैन न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) एमबी शाह ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले को ‘साहसी’ कदम बताते हुए कहा है कि इससे काले धन पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। वे सही कह रहे हैं कि इस निर्णय से देश का आम आदमी लाभ में रहेगा किंतु इस फैसले का असर उन लोगों पर होगा जिन्होंने अघोषित संपत्ति व आय जमा कर रखी है और इसका खुलासा सरकार द्वारा दो साल में घोषित कालाधन घोषण योजना के तहत नहीं किया है।
देखाजाए तो केंद्र सरकार देशभर में फैले भ्रष्टाचारियों से सवा लाख करोड़ रुपये का काला धन वापस निकालने में अब तक सफल रही है लेकिन इस एक निर्णय के बाद उम्मीद करिए कि 100 प्रतिशत कालाधन जल्द ही बाहर आना तय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात में बहुत दम है कि भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई जरूरी है। जाली नोटों का जाल देश को तबाह कर रहा है। देश विरोधियों एवं आतंकियों को कहां से पैसा नसीब होता होगा, यह बेहद सोचनीय है।
निश्चित ही बाजार से मौजूदा 500 और 1,000 रुपये के नोटों को हटाने का सरकार का यह फैसला नकली नोट और कालेधन पर एक 'सर्जिकल स्ट्राइक' कहा जा सकता है। इससे जो सबसे बड़ा काम होने जा रहा है वह है भविष्य में कालेधन और नकली मुद्रा की देशभर से समाप्ति हो जाना और आर्थिक सुचिता एवं पादर्शिता का चहुंओर व्याप्त हो जाना। यह सच भी सभी को जानना चाहिए कि आज 5 लाख करोड़ से ज्यादा की राशि का प्रचलन बड़े नोटों के रूप में है और इस धन से देशभर में कितने प्रकार के काले धंधे होते हैं, उनकी गिनती करना भी मुश्किल है।
प्रधानमंत्री के इस एक निर्णय ने उन सभी असंवैधानिक एवं उन सभी गैरकानूनी कार्यों पर अंकुश लगाने का कार्य किया है जिस को लगभग यह मान लिया गया था कि भारत की यही नियती है और देश इससे शायद ही कभी मुक्त होगा। धन्य हो मोदी देशवासियों को दीपावली के बाद एक बार फिर आर्थिक उत्सव बनाने का यह अवसर प्रदान किया है।
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