गुरुवार, 10 नवंबर 2016

लोकमंथन का उद्देश्य है राष्ट्रीय संकल्पना की स्थापना

राष्ट्र सर्वोपरि के विचार से ओतप्रोत विचारकों और कर्मशीलों का तीन दिवसीय राष्ट्रीय आयोजन लोकमंथन 12 से 14 नवम्बर तक विधानसभा परिसर, भोपाल में आयोजित हो रहा है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित इस आयोजन की विशेषता है कि इसमें राष्ट्र निर्माण में कला, संस्कृति, इतिहास, मीडिया और साहित्य की भूमिका पर विमर्श किया जाएगा।   

लोकमंथन का उद्देश्य है कि राष्ट्र निर्माण को लेकर अब तक बनी पश्चिम परस्त अवधारणा को दूर कर भारत के इतिहास, कला, विज्ञान, संस्कृति, भूगोल और मनोविज्ञान को यूरोपीय आस्थावाद से बाहर निकालकर राष्ट्रीयता की संकल्पना की स्थापना की जाए।  नवउदारवाद और वैश्वीकरण के मौजूदा दौर में राष्ट्रीयता का देशज या यूँ कहें कि शुद्ध भारतीय पाठ तैयार करने की योजना है।लोकमंथन में मीडिया, कला, संस्कृति, इतिहास, साहित्य और अन्य क्षेत्रों से जुड़े स्वतंत्र विचारक और चिंतक शामिल होने वाले हैं। 

लोक मंथन के दो हिस्से रहेंगे- मंच और रंगमंच। मंच से विभिन्न विषयों पर विचारक विमर्श करेंगे। उसी दौरान रंगमंच के जरिए कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर राष्ट्रीय भावना को प्रकट करेंगे। कार्यक्रम का उद्घाटन 12 नवम्बर को सुबह 10 बजे रहेगा, इसके बाद तीन दिन तक विभिन्न विषयों पर गहन विमर्श किया जाएगा। आगे लोकमंथन को वार्षिक कार्यक्रम का स्वरूप भी दिया जाएगा। उक्‍त सभी बातें लोकमंथन आयोजन समिति के महासचिव जे. नंदकुमार द्वारा बताई गई हैं। 

अकेला कश्मीर भारत के लिए खतरनाक : उन्होंने बताया कि अलग-अलग पहचान महत्वपूर्ण हैं, उनका स्वागत होना चाहिए। लेकिन, भारत के बाहर उनकी कल्पना ठीक नहीं। कश्मीर हो या केरल, सबकी स्वतंत्र पहचान का सम्मान है, क्योंकि इनके बिना भारत पूर्ण नहीं है। लेकिन, भारत के बाहर जाकर अकेला कश्मीर खतरनाक है। लोकमंथन में सभी प्रकार की अस्मिता के प्रश्नों पर गंभीरता से मंथन किया जायेगा।

देश तोड़ने का प्रयास कर रही है 'ब्रेकिंग इंडिया ब्रिगेड' : लोक मंथन आयोजन समिति के महासचिव जे. नंदकुमार का कहना यह भी है कि आजकल कुछ लोग देश को तोड़ने के सूत्र खोज रहे हैं। इस 'ब्रेकिंग इंडिया ब्रिगेड'का एजेंडा है कि कैसे देश को नुकसान पहुँचाया जाए। इसके लिए वह हर संभव प्रयास कर रहे हैं। लेकिन,उनका सफल होना असंभव है। क्योंकि, देश के सामान्य व्यक्ति के जीवन में भी राष्ट्रीयता प्रकट होती है। सामान्य लोग देश को एकसूत्र में बाँधकर रखे हुए हैं। उन सामान्य लोगों के जीवन में कैसे राष्ट्र प्रकट होता है, इसी पर लोक मंथन में विमर्श होगा।

'औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्ति' लोकमंथन का केंद्रीय विषय है। इसलिए यह अपने तरह का पहला आयोजन है। लोकमंथन में शामिल होने आ रहे देश-दुनिया से प्रख्यात विचारक और रचनाधर्मियों के परस्पर विचार-विमर्श से भारत के साथ विश्व को नई दृष्टि मिलेगी। यह तीन दिवसीय विमर्श गहरी वैचारिकता की वजह से हमारे राष्ट्र के उन्नयन में सहायक सिद्ध होगा। समता, संवेदनात्मकता, प्रगति, सामाजिक न्याय, सौहार्द्र और सद्भाव की आकांक्षा राष्ट्रीयता के मूलमंत्र है। इसी भावना के साथ सामाजिक बदलाव और समाज का विकास इस राष्ट्रीय विमर्श का मूल उद्देश्य है।
            
लोकमंथन का आयोजन मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग, भारत भवन और सामाजिक वैचारिक संस्था प्रज्ञा प्रवाह के संयुक्त आयोजन में किया जा रहा है। लोकमंथन में शामिल होने के लिए देशभर से लगभग 800 प्रतिभागी आ रहे हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी में तीन दिन 'लघु भारत' के दर्शन होंगे। ऑनलाइन पंजीयन के जरिए लोकमंथन में शामिल होने वाले प्रतिभागियों में अधिकतर 40 वर्ष से कम आयु के युवा हैं। वहीं, विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ के तौर पर 130 से अधिक विद्वान भी इसमें शामिल हो रहे हैं। यह सभी जानकारियां लोकमंथन आयोजन समिति के महासचिव जे. नंदकुमार, भारत नीति प्रतिष्ठान के मानद निदेशक प्रो. राकेश सिन्हा और आयोजन समिति के संयोजक दीपक शर्मा केद्वारा मीडिया के सम्‍मुख बताई गई हैं।
       

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