देश में इन दिनों तेजी के साथ मध्यप्रदेश आगे बढ़ रहा है, यदि आज इस राज्य के बारे में यह कहा जाए तो कुछ गलत ना होगा। पिछले साढ़े तेरह सालों में जिस तरह से यहां भाजपा की सरकार आने के बाद से लगातार एक-एक जनहितैषी विषय पर ध्यान दिया गया है और स्वयं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कभी मध्यप्रदेश निर्माण, कभी संकल्प दिवस तो कभी विकसित मध्यप्रदेश की चाह में तेजी के साथ आगे बढ़ते रहने के लिए आम जन को प्रेरित कर रखा है, उससे अब लगने लगा है कि इस राज्य का जनसंख्या के घनत्व एवं विशालकाय होने के बाद भी आनेवाले दिनों में विकसित होना तय है। सही योजना फिर उसका सही क्रियान्वय हो जाए तो सकारात्मक लाभ दिखाई देते ही हैं। वस्तुत: यही आज मध्यप्रदेश में दिखाई दे रहा है।
हम सभी जानते हैं कि शिक्षा विकास की रीढ़ है, किसी भी देश या प्रदेश का व्यक्ति जितना अधिक शिक्षित एवं साक्षर होगा, वह अपने कल्याण के साथ अपने देश एवं समाज के पूर्ण विकास में अपना उतना ही अधिक योगदान दे सकता है। देखाजाए तो मध्यप्रदेश भी तेजी के साथ इस दिशा में आगे बढ़ता दिख रहा है। आज यही कारण है कि उसे भी देश के अन्य राज्यों के बीच 51वें अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर शिक्षा के क्षेत्र में तीन राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। वर्ष 2016-17 में मध्यप्रदेश में 24 लाख 61 हजार से अधिक प्रौढ़ निरक्षरों को प्रशिक्षण के बाद साक्षरता परीक्षाओं में सफलता प्राप्त हुई है तो वहीं राज्य के 31 सांसद आदर्श ग्रामों में लगभग 24 हजार प्रौढ़ निरक्षर नवसाक्षर बनकर सामने आये हैं।
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू एवं केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को जब वर्ष 2017 के लिए साक्षर भारत अवार्ड वितरित करने थे, तब मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में साक्षर भारत योजना में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने वाले राज्य, जिला और राज्य संसाधन केन्द्र के लिए मध्यप्रदेश को पुरस्कृत किया जाना वस्तुत: वर्तमान में यह बताता है कि राज्य की मशीनरी आमजन के जीवन में शिक्षा की अलख जगाने में विशेषकर बहुसंख्यक आदिवासी समाज के जीवन में आधुनिकतम शिक्षा को सफलतापूर्वक पहुँचाने में सफल हो रही है। इस दिशा में देश के उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू सही कहते हैं कि साक्षरता लोगों को अधिकार संपन्न और जीवन को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। साक्षरता के आभाव में विकास के कोई मायने नहीं। हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है, क्योंकि अभी लगभग 35 करोड़ युवा और वयस्क लोग साक्षर दुनिया से बाहर हैं।
केंद्रीय स्तर पर यदि देखें तो देश में 1947 में साक्षरता दर 18 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 81 प्रतिशत हो गई है। अगले वर्ष सरकार स्कूल चलो अभियान कार्यक्रम शुरू करेगी। इस प्रयास के तहत शेष 19 प्रतिशत साक्षरता विहीन आबादी को इसके दायरे में लाकर शत-प्रतिशत साक्षरता प्राप्त करने का लक्ष्य तय किया है। यह लक्ष्य 100 प्रतिशत डिजिटल साक्षरता सहित 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है इस संदर्भ में मध्यप्रदेश के आंकड़े बताते हैं कि इसी वर्ष के प्रारंभ में ही प्रदेश में चल रही साक्षर भारत योजना के जरिये 15 वर्ष से अधिक आयु समूह के व्यक्तियों को कार्यात्मक साक्षरता प्रदान करने की दिशा में राज्य ने 80 प्रतिशत साक्षरता दर प्राप्त किये जाने के प्रयासों में बहुत हद तक सफलता प्राप्त कर ली है। इस योजना में अब तक 40 लाख से अधिक व्यक्तियों को साक्षर किया जा चुका है। इसके लिए साक्षरता कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिये ग्राम पंचायत स्तर पर करीब 26 हजार प्रेरक नियुक्त किये गए, तो वहीं प्रदेश में 17 हजार 350 प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र संचालित किये जा रहे हैं। इन केन्द्रों के माध्यम से साक्षरता कक्षाएँ नियमित रूप से लगाये जाने का ही यह परिणाम है कि ग्राम पंचायत में महिला साक्षरता दर का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है।
वस्तुत: इसी के साथ यह आशा भी मुखर हुई है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश देश का नम्बर-1 राज्य अवश्य बनेगा, क्योंकि यहां विकास के सभी क्षेत्रों पर समानरूप से ध्यान दिया जा रहा है। आंकड़े देखें तो पिछले चार वर्ष से प्रदेश की कृषि विकास दर देश में सबसे अधिक है। मध्यप्रदेश में सड़कों के क्षेत्र में इतिहास रच गया है। सिंचाई में तेजी से विकास हो रहा है। उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने पर सरकार द्वारा फीस की व्यवस्था की जा रही है। गरीब को मकान देने के लिये सरकार कानून बनाने जा रही है। वर्ष 2022 तक कोई भी गरीब प्रदेश में बिना मकान के नहीं रहेगा।
कुल मिलाकर ऐसे नवाचारी प्रयोग इन दिनों राज्य सरकार बहुतायत में कर रही है, जो आमजन के कल्याण से सीधे जुड़े हुए हैं, वास्तव में इन्हें देखकर यही कहा जा सकता है कि राज्य का आनेवाला समय हर मामले में उत्कृष्ट है। किंतु इसके साथ कुछ बाते हैं जिन पर अभी भी सरकार को अपना ध्यान बनाए रखने की जरूरत होगी, साक्षरता की दृष्टि से इसे अवश्य ही देखना चाहिए वर्तमान में प्रदेश में अशिक्षा के मामले में सिंगरोली, एवं छतरपुर जिले शीर्ष पर हैं। यहां सबसे ज्यादा क्रमशः 98 हजार के लगभग निरक्षर हैं। बड़वानी में 88 हजार, देवास में 87 हजार, सागर में 82 हजार निरक्षर हैं। ऐसे ही कुछ कम-ज्यादा सभी जिलों की स्थिति है, निरक्षरों की सुची में सबसे कम निरक्षर दतिया जिले में है। यहां महज 9 हजार 380 लोग ही निरक्षर है। अत: इन सभी को देश के विकास में अपना पूर्ण योगदान दिए जाने के लिए साक्षर बनाना अति आवश्यक है।
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