केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से शायद ही कोई दिन ऐसा गया हो, जब उनका नाम लेकर देश के अल्पसंख्यकों को खासकर मुसलमानों के बीच यह भ्रांति न फैलाई गई हो कि यह सरकार अब तक की सबसे बुरी सरकार है और इसके राज में सबसे अधिक नुकसान यदि किसी का हुआ है तो वह देश का अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय है। किंतु क्या वास्तविकता में ऐसा है? वस्तुत: ऐसा बिल्कुल नहीं है, तथ्य कुछ ओर ही कहते हैं।
इस संदर्भ में जो आंकड़े केंद्र सरकार के साथ अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के हैं वह आज साक्ष्यों के साथ बता रहे हैं कि किस तरह से पिछले तीन वर्षों में मोदी राज में अल्पसंख्यकों का आर्थिक एवं शिक्षा के स्तर पर बौद्धिक विकास हुआ है और कैसे वह सतत जारी है। वस्तुत: वर्तमान में जीएसटी सुविधा केन्द्र और स्वच्छता पर्यवेक्षक जैसे लघु अवधि के पाठ्यक्रम अल्पसंख्यक समुदायों के युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नए स्वरूप में आगे आए हैं। यह लघु अवधि के पाठ्यक्रम छोटे, मध्यम उद्यमों और बड़े व्यवसाय समूहों की भी मदद कर रहे हैं। इसी प्रकार से आज स्वच्छता पर्यवेक्षकों की स्थिति है, जिसमें कि पूरे देश में अलग-अलग स्वच्छता परियोजनाओं में अल्पसंख्यक युवाओं को केंद्र सरकार नौकरी प्रदान कर रही है।
वस्तुत: यह बताने की आवश्यकता नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान ने देश में एक क्रांतिकारी परिवर्तन आरंभ किया है। इसके अंतर्गत अब तक लाखों शौचालयों, स्वच्छता केंद्रों, स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण किया जा चुका है और यह आगे भी तेजी से चल रहा है। इसमें ये अल्पसंख्यक स्वच्छता पर्यवेक्षक युवा आज स्वच्छता अभियान को बहुत व्यापक स्तर पर अपनी मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की यथास्थिति और उसके आर्थिक कार्यकलापों पर भी यदि ध्यान दिया जाए तो यह सीधे तौर पर स्पष्ट हो जाता है कि मोदी सरकार की मंशा अल्पसंख्यकों विशेषकर मुसलमानों को लेकर आखिर क्या है। वस्तुत: वर्तमान में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय अपने कुल बजट का 65 प्रतिशत से भी अधिक अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं के शैक्षिक सशक्तिकरण और कौशल विकास के लिए व्यय कर रहा है। जिसमें कि बहुत बड़ा इसका भाग वह है जोकि आज उनके बीच उन प्रतिभावान विद्यार्थियों एवं अभ्यार्थियों पर खर्च किया जा रहा है जोकि प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होकर देशसेवा करना चाहते हैं।
इस विषय में केंद्र की हाल ही संचालित हुईं विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं को देखा जा सकता है, जिसमें कि "बेगम हजरत महल कन्या छात्रवृत्ति योजना" अल्पसंख्यक समुदाय के बीच महिला सशक्तिकरण एवं शैक्षिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई है। आंकड़े देखें तो पिछले 3 वर्षों में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने भिन्न-भिन्न छात्रवृत्ति योजनाओं में 1 करोड़ 5 लाख से भी ज्यादा विद्यार्थियों को लाभ पहुंचाने में सफलतम कार्य किया है ।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के आंकड़े यह भी कहते हैं कि पिछले 3 वर्षों में बहु-क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम के अंतर्गत कई सुविधाएं जैसे 4 हजार 377 स्वास्थ्य केन्द्र, 37 हजार 68 आंगनवाड़ी केन्द्र, 10 हजार 649 पीने के पानी की सुविधा स्थल, 32 हजार से अधिक अतिरिक्त कक्षा स्थान, 1 हजार 817 स्कूल भवनों, 15 स्नातक महाविद्यालयों, 169 आईटीआई, 48 पोलिटेकनिक महाविद्यालयों का आरंभ, 248 बहुउद्देशीय समुदायिक केंद्रों सद्भाव मंडप, 1 हजार 64 छात्रावासों और 27 आवासीय स्कूलों का निर्माण अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में भारत सरकार के इस मंत्रालय ने कराया है।
इतना ही नहीं तो आजल 100 "गरीब नवाज कौशल विकास केन्द्र" समुचे देश में स्थापित किए जा रहे हैं। "हुनर हाट" एवं अन्य कौशल विकास कार्यक्रमों को जरिए करीब 5 लाख अल्पसंख्यक युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। इतना सभी कुछ विकास एवं अल्पसंख्यकों को आगे बढ़ाने के लिए किए जा रहे मोदी सरकार के कार्यों एवं प्रयत्नों के बाद भी यदि कोई उनकी नेक नीयत पर शक करे तो अब ऐसे लोगों का कुछ नहीं किया जा सकता है।
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