रविवार, 11 दिसंबर 2016

दुनिया की अनूठी यात्रा ‘नमामि देवि नर्मदे’

ध्यप्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा को संरक्षित करने के साथ-साथ स्वच्छ बनाए रखने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार, खासकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा11 दिसम्बर से दुनिया की अनूठी यात्रा शुरू कर दी गई है। इसे नमामि देवि नर्मदे नाम दिया दिया है। यह यात्रा नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंटक से शुरू होने के बाद आगे अब 4 मई को भव्य समारोह के साथ सम्‍पन्‍न होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान स्वयं इस यात्रा की तैयारियों पर नजर बनाए हुए हैं और विश्व स्तरीय आयोजन बनाने में जुटे हैं।

उन्होंने इस महात्वाकांक्षी यात्रा को लेकर कहा है कि, संपूर्ण समाज की सहभागिता से चलने वाला नमामि देवी नर्मदे अभियान पूरी दुनिया में नदी को बचाने का उदाहरण बनेगा। यह अभियान पवित्र जीवनदायिनी नर्मदा नदी के ऋण को उतारने का अभियान है। इस यात्रा में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पर्यावरणविद, विशेषज्ञ, संत-महात्मा, स्वयंसेवी संगठन और आम जनता शामिल होगी। 118 दिन चलने वाले इस अभियान में नर्मदा नदी के दोनों किनारों पर सघन पौधा-रोपण किया जायेगा। 




गंगा के अभियान से मिली प्रेरणा: 

केंद्र में जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी है, तभी से नदियों के संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने सबसे पहले गंगा को निर्मल और प्रदूषण मुक्त करने के बात कही और इसके लिए एक विशेष अभियान शुरू किया, जिससे देशभर में नदियों के संरक्षण को लेकर एक वातावरण बना। इसके बाद प्रधानमंत्री ने देश को खुले में शौच से मुक्त करने के उद्देश्य से स्वच्छता अभियान शुरू किया और अब देशभर में यह अभियान एक आंदोलन का रूप ले चुका है और देश में साफ-सफाई को लेकर अलग ही माहौल निर्मित हो गया है। देश के धार्मिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक जीवन में गंगा का जो स्थान है, वही प्रदेश में नर्मदा नदी का है। इसलिए मध्यप्रदेश सरकार ने नमामि गंगे अभियान की तर्ज पर प्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी को स्वच्छ और सदानीरा बनाए रखने की दृष्टि से नमामि देवि नर्मदे अभियान शुरू किया है। 

पर्यावरण के प्रति चेतना प्रमुख उद्देश्य: नदियों के स्वास्थ्य में उनके जलग्रहण क्षेत्र के पर्यावरण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसे स्वस्थ रखे बिना नदियों को हमेशा प्रवाहमान रखा जाना संभव नहीं है। नमामि देवी नर्मदे यात्रा का मुख्य उद्देश्य नर्मदा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में गिरते हुए पर्यावरण स्तर को रोकना, लोगों को पर्यावरण के प्रति आगाह एवं जागरूक करना और नर्मदा के जल को शुद्ध रखना तथा नर्मदा के आसपास के क्षेत्र को पर्यावरण के अनुकूल विकसित करना तथा हरा-भरा बनाना है। इस अभियान के तहत 138 दिन की यात्रा के दौरान मां नर्मदा के दोनों किनारों पर हरा-भरा बनाने के लिए अलग-अलग प्रजातियों के फलदार पौधों का रोपण होगा और उनकी देखभाल की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर पर तय की जाएगी।

मुख्यमंत्री की देखरेख में चलेगा अभियान:

 मां नर्मदा को साफ-सुथरा और हरा-भरा बनाने के लिए शुरू किए जा रहे इस अभियान की तैयारियां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की देखरेख में चल रही हैं। वे स्वयं समय-समय पर अधिकारियों से इसकी जानकारी लेते हैं और उन्हें आवश्यक दिशा-निर्देश दे रहे हैं। इस यात्रा के समापन के अवसर पर आयोजित समारोह में शामिल होने के लिए विगत दिनों मुख्यमंत्री ने दिल्ली पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी आमंत्रित किया है। 

नमामि देवि नर्मदे यात्रा की रूप-रेखा और तैयारियों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि नर्मदा के तट पर ज्ञान, भक्ति और कर्म तीनों मार्गों का संगम होता है, इसलिए नर्मदा सेवा यात्रा पूरी तरह जन-अभियान होगी। इसमें सरकार और जन-अभियान परिषद सहयोगी के रूप में होंगे। उन्होंने कहा है कि सभी मंत्री अपने-अपने प्रभार के जिलों की आयोजन समिति के अध्यक्ष होंगे। वे जिलों में यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करेंगे और आवश्यक व्यवस्थायें सुनिश्चित करेंगे। यात्रा में आम जनता के साथ विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और स्वयंसेवी संगठनों के पदाधिकारी तथा प्रत्येक दिन कम से कम एक मंत्री शामिल होंगे। साथ ही हर सप्ताह कम से कम एक दिन स्वयं मुख्यमंत्री भी इस यात्रा में शामिल होंगे। जो जिले नर्मदा के तट पर नहीं आते हैं उनसे यात्रायें चलकर इस महती यात्रा में शामिल हो सकेंगी।


जनसहयोग से होगा आयोजन: 

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का कहना है कि यात्रा को विराट स्वरूप देने तथा इसे फलदायी और आनंदमयी बनाने के हरसंभव प्रयास किये जायेंगे। इसमें आमजन एवं विभिन्न संगठनों का सहयोग लिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि यात्रा के दौरान नर्मदा किनारे के गाँवों में वृक्षारोपण, हर घर में शौचालय, घाटों की साफ-सफाई, महिलाओं के लिये चेंजिंग रूम तथा किनारे के शहरों में सीवेज की व्यवस्था अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जायेगी। साथ ही तट के प्रत्येक गाँव की नर्मदा सेवा समिति भी गठित की जायेगी। उन्होंने बताया कि यह यात्रा लगभग 3344 किलोमीटर लम्बी होगी, जो 138 दिन तक चलेगी। यात्रा में पडऩे वाले 1909 किलो मीटर आबादी क्षेत्र में पैदल यात्रा तथा शेष निर्जन क्षेत्र में वाहन यात्रा होगी। यह यात्रा माँ नर्मदा के दोनों तटों पर सम्पन्न होगी। दक्षिणी तट पर 1113 किलोमीटर और उत्तरीय तट की 796 किलोमीटर यात्रा शामिल हैं। सीएम ने बताया कि यात्रा का शुभारंभ प्रतिदिन माँ नर्मदा की आरती के साथ किया जायेगा। इस दौरान योग प्रदर्शन तथा गीत-संगीत के कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे। प्रतिदिन शाम को स्थानीय कलामंडलियों के गीत-संगीत की प्रतियोगितायें भी आयोजित कर उन्हें पुरस्कृत किया जायेगा। इस दौरान बीच-बीच में जन-संवाद कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे जिनके माध्यम से आमजनता को पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के प्रति जागरूक किया जायेगा और संकल्प भी दिलाया जायेगा। श्री चौहान ने यात्रा के प्रचार-प्रसार और सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं। प्रत्येक विभागों की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा चुकी है।


संगठन की भी होगी भूमिका: 

नमामि देवि नर्मदे यात्रा को लेकर शासन-प्रशासन की तैयारियां जहां जोर-शोर से चल रही हैं, तो वहीं भारतीय जनता पार्टी भी इसे सफल बनाने के लिए अपने स्तर पर प्रयास कर रही है और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से लेकर छोटे कार्यकर्ता तक इस यात्रा की तैयारियों में जुटे हुए हैं। दरअसल, मध्यप्रदेश में करीब डेढ़ साल बाद यानी 2018 में विधानसभा के चुनाव होने हैं और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा नर्मदा नदी को बचाने के लिए शुरू किए जा रहे इस महत्वाकांक्षी अभियान का भाजपा को चुनावों में बड़ा फायदा मिल सकता है। इसीलिए इस यात्रा के प्रचार-प्रसार के साथ ही पार्टी द्वारा इस आयोजन को आगामी विधानसभा चुनावों में भुनाने की रणनीति भी तैयार की जा रही है।  

उल्लेखनीय है कि मां नर्मदा प्रदेश की जीवन रेखा है। यह प्रदेश को आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न बना रही है। यह पेयजल, सिंचाई और बिजली देती है। वृक्षों के कटने से और प्रदूषण से नर्मदा के जलप्रवाह पर प्रभाव हुआ है। वहीं नर्मदा नदी से रेत और किनारों पर अवैध उत्खनन से भी इस नदी को काफी क्षति पहुंचाई जा रही है। मां नर्मदा की गिनती देश की पवित्र नदियों में होती है। कहा जाता है कि इसके दर्शन मात्र से व्यक्ति के पाप धुल झाते हैं। इसीलिए इस नदी में पर्वों और विशेष आयोजनों के अवसर पर लाखों लोग डुबकी लगाते हैं। मगर, विगत कुछ वर्षों के दौरान इस नदी को प्रदूषित करने में लोग पीछे नहीं हैं। इसके किनारे बसे गांवों और इसमें स्नान करने वाले श्रद्धालु ही इस नदी में कई तरह की गंदगी, कचरा आदि डाल रहे हैं, जिससे इसका जल प्रदूषित हो रहा है। इसीलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा को बचाने के लिये व्यापक अभियान चलाने का निर्णय लिया है और इसमें शासन-प्रशासन के साथ-साथ आम लोगों को भी भागीदार बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। 


सरकार ने बनाई योजना: 

मुख्यमंत्री ने नमामि देवी नर्मदे अभियान को सफल बनाने के लिए विस्तृत रूप-रेखा तैयार की है। इसके बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि नर्मदा के किनारों पर निजी भूमि पर फलदार पौधे लगाने के लिए सरकार किसानों को प्रोत्साहित करेगी। इसके लिए फलदार वृक्ष लगाने पर राज्य सरकार किसानों को इन वृक्षों पर फल आने तक मुआवजा देगी। इसके अलावा अभियान के दौरान अमरकंटक से लेकर नर्मदा के किनारे आने वाले सभी शहरों-गाँवों से दूषित जल को मिलने से रोकने के लिये ट्रीटमेंट प्लांट लगाये जायेंगे। नर्मदा किनारे के सभी ग्रामों को खुले में शौच से मुक्त किया जायेगा। नर्मदा किनारे के ग्रामों को नशामुक्त बनाया जायेगा। मुख्यमंत्री ने आम लोगों से इस अभियान से जुडऩे की अपील करते हुए कहा है कि नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नदी होने के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था का आधार भी है। इस पवित्र नदी में हो रहे प्रदूषण को रोकने के लिये जागरूकता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नर्मदा के संरक्षण का अभियान है। इस अभियान से नर्मदा नदी प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक प्रवाह का माध्यम बनेगी। यह एक जन-जागरण का अभियान है। यह आने वाली पीढिय़ों के जीवन को सुरक्षित रखने का अभियान है। इससे समाज का हर वर्ग जुड़े।  विगत दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नमामि देवी नर्मदे अभियान की एक वेबसाइट शुरू की है, जिसके माध्यम से लोग इसकी जानकारी ले सकते हैं और इससे जुड़ सकते हैं।


मुख्यमंत्री ने बताया कि नर्मदा को बचाने के लिए चलाए जाने वाले इस अभियान में प्रत्येक हफ्ते वह खुद भी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि यात्रा का उद्देश्य पर्यावरण के गिरते स्तर को रोकना, लोगों को जागरुक करना, नर्मदा के आसपास के पर्यावरण को संरक्षित करना भी शामिल है। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी का पानी किसी ग्लेश्यिर से नहीं, बल्कि बारिश, पहाड़ों और पेड़-पौधों से आता है। इसीलिए इस अभियान के अंतर्गत नदी के दोनों ओर फलदार पेड़ लगाए जाएंगे, ताकि मां नर्मदा को सदानीरा बनाए रखा जा सके।
प्रदेश के जीवन का आधार नर्मदा: किसी भी राज्य की सभ्यता, संस्कृति एवं आर्थिक विकास में नदियों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। मध्यप्रदेश की गंगा कही जाने वाली नर्मदा देश की पांचवी प्रमुख नदी है। पर्वतराज मेकल की पुत्री नर्मदा को रेवा के नाम से भी जाना जाता है। यह गंगा के समान पवित्र मानी जाती है। नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक है, जहां वह विंध्याचल पर्वत श्रेणियों निकलती है। यह ‘पश्चिम की ओर बहने वाली देश की एक प्रमुख नदी है, जो कहीं पर भी डेल्टा नहीं बनाती। इसकी कुल लम्बाई 1312 किमी है तथा मध्यप्रदेश में इसका बहाव 1077 किलोमीटर में है। यह मध्यप्रदेश में 18 जिलों से होकर गुजरती है। नर्मदा पर कई धार्मिक और पर्यटन महत्व के स्थल भी हैं। अमरकंटक में कपिलधारा और दुग्धधारा सहस्त्रधारा नामक जलप्रपात है, जो बारिश में मन को मोह लेता हैं। इसी कारण से वर्ष 2005 में अमरकंटक को पवित्र नगर घोषित किया गया।  भेड़ाघाट जबलपुर से 22 किमी दूर है और यहां पर धुंआंॅधार नामक जलप्रपात है। नर्मदा यहॉं पर 60 फुट की ऊॅचाई से नीचे गिरती है। मन को लुभाने वाली दूधियाधार में धुंए की तरह उडऩे वाली पानी की बौछार का प्राकृतिक दृश्य बड़ा ही मनोरम है। यहां नर्मदा का बहाव संगमरमरी चट्टानों के बीच से होकर गुजरता है जो इसके सौंदर्य में चार चांद लगाता है। मध्यप्रदेश के पांच महत्वपूर्ण नगर जबलपुर, होशंगाबाद, बड़वाह, महेश्वर, ओंकारेश्वर आदि नर्मदा के किनारे ही बसे हैं। मुख्यमंत्री की नमामि देवि नर्मदे यात्रा इन पांचों प्रमुख शहरों के साथ-साथ प्रदेश के सभी 18 जिलों में नर्मटा तट पर बसे छोटे-छोटे गांवों से होकर गुजरेगी और इस अभियान में मुख्यमंत्री हर सप्ताह स्वयं शामिल होंगे। नर्मदा को साफ-स्वच्छ और उसके तटों को हरा बनाने बनाने में यह अभियान मील का पत्थर साबित होगा।

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