रविवार, 11 दिसंबर 2016

अब तो समझे विपक्ष जनता क्‍या चाहती है : डॉ. मयंक चतुर्वेदी

लोकतंत्र शासन प्रणाली में जनता भगवान होती है, उसके रुख से ही यह तय होता है कि किस पार्टी की नीतियों के लिए उसका बहुमत है। जब से केंद्र में भाजपा की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने हैंविपक्ष किसी न किसी बहाने, बिना कोई सार्थक मुद्दा होने के बावजूद भी लगातार सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। हद तो यह है कि पुराने 500-1000 के नोट प्रचलन के बाहर करने की जहां देशभर में बहुसंख्‍यक जन सरकार की तारीफ कर रही हैवहीं विपक्षी हैं कि उनके पेट में इतना दर्द हो रहा है कि वे एक माह तक मुकर्रर किए गए वक्‍त में आवश्‍यक विधेयकों एवं कार्रवाहीं के लिए चलनेवाले सदन को भी नहीं चलने दे रहे।

जबकि यह सच सभी जानते हैं कि जिसके विचारों एवं कार्यों से जनता सहमत नहीं होतीवह उसे चुनावों के जरिए अपना संदेश दे देती है। सत्‍ता से ऐसी किसी भी पार्टी कोभले ही वह कितनी भी ताकतवर होजनता सत्‍ताच्‍युत करने में देरी नहीं लगाती हैकिंतु यहां तो उल्‍टा हो रहा है। सरकार ने नोटबंदी की घोषणा क्‍या कीलगातार कष्‍ट सहने के बाद भी जनता के मन में प्रधानंत्री मोदी के प्रति मान ओर बढ़ता गया। 16 नवम्‍बर से चल रहा संसद का शीतकालीन सत्र भले ही विरोधियों द्वारा बाधित किया जा रहा होलेकिन सड़क पर इस फैसले की तारीफ समय के साथ बढ़ ही रही है। इस बीच देश में जो लोकसभाविधानसभा एवं नगरीय निकाय चुनाव हुएउसमें जिस तरह का निर्णय जनता से दियाउसको देखकर भी सच पूछिए तो विपक्ष को अब तक समझ जाना चाहिए था कि आखिर देश की जनता चाहती क्‍या है ?

राज्‍य सभा एवं लोक सभा में कांग्रेसतृणमूल कांग्रेसबसपा और सपा के सांसदों के साथ अन्‍य विपक्षी यहां तक कि सरकार के साथ जो हैं ऐसी शिवसेना के प्रतिनिधि तक विरोध प्रदर्श‍ित करते हुए लगातार हंगामा खड़ा कर रहे हैं। तो दूसरी ओर जनता है जो अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए यह बता रही है कि वे इस घड़ी में किसके साथ खड़ी है। अभी हाल ही में देश के छह राज्‍यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में 4 लोकसभा और 10 विधानसभा सीटों के साथ दो प्रदेशों में नगरीय निकाय चुनाव हुएउसके आए घोषित परिणाम इस संदर्भ में देखे जा सकते हैं। उपचुनावों के नतीजों के अनुसार 4 लोकसभा सीटों में से दो पर बीजेपी और दो पर तृणमूल कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 10 विधानसभा सीटों में से भाजपा और अन्‍नाद्रमुक 3-3 पर, 2 पर माकपा और कांग्रेस तथा तृणमूल कांग्रेस 1-1 सीट पर जीतने में सफल रही हैं।

इन नतीजों को यहां थोड़ा विस्‍तार से भी जानना उचित होगा। चुनाव के नतीजे स्‍पष्‍ट करते हैं कि सत्तारूढ़ दल अपने किले बचाने में सफल रहे। मध्यप्रदेश के लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की तो त्रिपुरा में वाम मोर्चा ने एक बार फिर अपनी बादशाहत कायम रखी। पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री नारायणसामी अपनी सीट बचाने में सफल रहे तो बंगाल में ममता का जादू फिर परवान चढ़ा। यानि की जहां पहले से भाजपा है वह उपचुनावों में भी जीत हासिल करने में कामयाब रहीयदि नोट बंदी को देश की जनता नकारतीजैसा कि विपक्ष आरोप लगा रहा है तो फिर क्‍या कारण है कि जनता ने दोबारा इसी पार्टी के प्रतिनिधि को चुनकर लोकसभा और विधानसभाओं में पहुँचा दिया ? जहां तक अन्‍य पार्टियों की जीत का प्रश्‍न है तो वहां उनका सि‍क्‍का पहले से ही जमा हुआ थाबात तो तब थी जब भाजपा की सीटें विपक्ष छीनने में कामयाब हो जाताउस समय जरूर कहा जाता कि नोटबंदी का लोकतंत्र सही मायनों में विरोध कर रहा है।

इसके बाद महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के आए परिणाम आप देखेंइनमें भाजपा को सहयोगी शिवसेनाकांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मुकाबले ज्यादा सीटों पर जीत मिली है। पहले चरण के तहत 25 जिलों में 3,705 सीटों के लिए मत डाले गए थे। अब तक घोषित नतीजों में भाजपा 851सीटों पर जीत हासिल कर शीर्ष पर है। 147 नगर परिषद अध्यक्ष के लिए भी मतदान हुआ था। 140 पदों के लिए घोषित परिणाम में भाजपा 51 सीटें जीतकर शीर्ष पर है। यहां कुल स्थानीय निकाय की सीटें 3705 हैंजिनमें से 3510 के नतीजे घोषित हुए हैं उनमें भाजपा को 851, शिवसेना 514, राकांपा 638, कांग्रेस 643 और अन्‍य 724 सीटों पर विजय प्राप्‍त करने में सफल रहे। इसी प्रकार नगर परिषद अध्यक्ष चुनावों के परिणामों को देख सकते हैंजिनमें कुल147 सीटों में से 140 के परिणाम घोषित हुए। इन चुनावों में भी भाजपा को 51, शिवसेना 24, राकांपा 19, कांग्रेस 21 और अन्य के 25 स्‍थानों पर जीत मिली।

इसके बाद आए गुजरात स्‍थानीय निकाय चुनावों के नतीजे भी साफ बता रहे हैं कि यहां भाजपा ने बंपर जीत दर्ज करते हुए कई जगहों पर कांग्रेस का सूपड़ा तक साफ कर दिया। कुल 126 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा ने 125 सीटों पर अपने उम्‍मीदवार उतारे थे और उनमें से 110 सीटों पर भाजपा ने कब्‍जा जमाया है। नगरपालिकातालुका पंचायत और तहसील पंचायत चुनावों में 32 में से 28 सीटों पर कब्‍जा जमाया है वहीं कांग्रेस के खाते में 7 सीटें गई हैं। इससे पहले भाजपा के पास केवल 9 सीटें थीं। सूरत में कनकपुर-कनसाड नगरपालिका में भाजपा ने 28 में से 27 सीटें अपने नाम की है और कांग्रेस को सिर्फ 1 सीट पर जीत मिल पाई है। इसी तरह वापी नगरपालिका में 44 में से 41 सीटों पर भाजपा का कब्‍जा हुआ है और कांग्रेस 3 पर सिमट गई है।

वस्‍तुत: इन सभी चुनाव परिणामों से भी विपक्ष को सीख ले लेनी चाहिए थी कि देश की बहुसंख्‍यक जनता क्‍या चाहती है। परन्‍तु विपक्ष है कि कुछ समझना नहीं चाहता। वह लोकतंत्र के मंदिर संसद में नोटबंदी पर हंगामा करने में लगा हैजिसके कारण देश का जो जरूरी कार्य एवं निर्णय हैं लगातार बाधित हो रहे हैं। काश विपक्ष इस बात को समझे कि संसद देश की जनता के लिए जवाबदेह है और इसे एक दिन चलाने में जो खर्च 2 कारोड़ रुपए आता है वह भारत के आम आदमी की गाढ़ी कमाई का हिस्‍सा है। 

लेखक : हिन्‍दुस्‍थान समाचार के मध्‍यक्षेत्र प्रमुख एवं सेंसर बोर्ड एडवाइजरी कमेटी के सदस्‍य हैं। 

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