भारतीय जनता पार्टी की सरकार में प्रधानमंत्री
बनते ही नरेंद्र मोदी ने यह सर्वविदित है कि एक के बाद एक नवाचारों को आरंभ किया
है, उसमें से एक निर्णय जनता से सीधे जुड़ने का भी है। इस निर्णय को
उन्होंने नाम दिया ‘मन की बात’
। देखते ही देखते मन
की बात आकाशवाणी पर प्रसारित किया जाने वाला एक ऐसा कार्यक्रम बन गया जिसके जरिये
भारत के प्रधानमंत्री से देश के करोड़ों नागरिक सीधे जुड़े और देशभर के समाज सेवा
के प्रकल्पों, समूह एवं व्यक्तियों के श्रेष्ठ
उदाहरणों के माध्यम से श्रेष्ठ बनने की प्रेरणा लेने लगे। कार्यक्रम के पहले
प्रसारण 3 अक्टूबर 2014 लेकर अब तक प्रसारित हो चुके 34 आयोजनों में शायद ही कोई
भारत निर्माण का विषय ऐसा छूटा हो,
जिस पर प्रधानमंत्री मोदी ने
बेबाकी से अपनी बात न रखी हो। जनता
के द्वारा पूछे गए प्रश्नों के सीधे उत्तर नहीं दिए हों और सशक्त राष्ट्र के
विकास में योगदान देने वालों का गुणगान न किया हो। मोदी पहले कार्यक्रम से लेकर अब
तक राष्ट्र जागरण की दिशा में संवाद के माध्यम से अपने प्रयास करते रहे हैं जिसका
कि कई जगह सकारात्मक असर भी इन दिनों दिख रहा है। इस प्रयोग से देश के सभी राज्यों
में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अवश्य
सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। रमन सिंह ने 'रमन के गोठ'
के
नाम से रेडियो प्रसारण शुरू किया है।
संभवत:
यही वजह है कि प्रधानमंत्री की इस पहल को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने स्तर
पर अमलीजामा पहनाते हुए इन दिनों देखे जा सकते हैं। वैसे भी विधानसभा चुनाव अब दूर
नहीं, हाल ही में भोपाल में हुई भाजपा प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में
और इससे पूर्व भी पार्टी की जितनी कार्यसमितियां हुई हैं, उनमें
सभी पार्टीजनों ने एक स्वर में अपनी आगामी सरकार के लिए बतौर मुख्यमंत्री शिवराज
को ही चुना है। 2018 में विधानसभा चुनाव
होने हैं, इस बीच संगठन स्तर पर भी चुनाव के लिए अभी से
तैयारियां करने के लिए कह दिया गया है। शायद यह भी वह कारण हो, जिसमें
प्रदेश की जनता से सीधे संवाद स्थापित कर शिवराज सिंह चौहान उन तक भाजपा सरकार की
उपलब्धियों को पहुंचाना चाहते हों । इसलिए अब मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान ने भी प्रदेश की जनता से सीधे जुड़ेंने के लिए प्रतिमाह रेडियो
कार्यक्रम का सहारा लेने का निर्णय ले लिया है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज आगामी
सप्ताह से मोदी के मन की बात के समानार्थी जैसे भावनात्मक शब्द ‘दिल
से’ के माध्यम से प्रदेश के नागरिकों से सीधा संवाद करेंगे। इस संवाद में
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लोगों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार
व्यक्त करेंगे और प्राथमिकतायें बतायेंगे।
मुख्यमंत्री कई दफे यह कह चुके हैं कि
उनका स्वप्न स्वर्णिम मध्यप्रदेश है। इसके लिए ही वे आज से 6 वर्ष पहले अपने
मुख्यमंत्री के पूर्व कार्यकाल में ही स्विर्णम म.प्र. के संकल्प के बिन्दु लेकर
आए थे। उस वक्त में 14 मई 2010 का दिन मध्यप्रदेश के इतिहास में भी स्वर्णाक्षरों
में दर्ज हो गया, जब
स्वर्णिम मध्यप्रदेश के निर्माण के लिए आहूत की गई विधानसभा की विशेष बैठक में
मुख्यमन्त्री ने घोषणाओं की एक लम्बी श्रंखला दृढ़ता के साथ प्रस्तुत की थी।
मुख्यमन्त्री ने मुख्यमन्त्री कन्यादान
योजना के तहत कन्याओं को दो जाने वाली साहयता राशि को दोगुनी करने की घोषणा क साथ विस्थापित
मछुआरों के लिए निम्नतम ब्याज पर कर्ज देने का ऐलान, किसानों की जमीन उद्योग के लिए खरीदने पर
प्रति एकड़ समुचित मुआवजा दिए जाने की बात कही थी । उस वक्त विधानसभा में शिवराज
ने कहा था कि किसानों को खेती हेतु इस सदन का मत है कि राज्य का ऐसा सर्वांगीण एवं
समावेशी विकास हो, जिससे
प्रदेशवासियों का जीवन उत्तरोत्तर समृद्ध एवं खुशहाल बने तथा उन्हें अपनी क्षमताओं
के अनुरूप सर्वक्षेष्ठ कार्य करने और राष्ट्र के विकास में योगदान देने का अवसर
प्राप्त हो। उक्त उद्देश्य की पूर्ति के लिए यह सदन संकल्प करता है कि हम प्रदेश
में खेती को लाभ का धंधा बनायेंगे,
मूलभूत सेवाओं के विस्तार के साथ अधोसंरचना का निरन्तर सृदृढ़ीकरण करेंगे, निवेश का अनुकूल वातावरण निर्मित
करेंगे, सबको
गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं स्वास्थ्य व्यवस्था उपलब्ध करायेंगे, महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित
जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक एवं सामान्य निर्धन वर्ग को
सशक्त कर उनकी विकास में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करेंगे, सुदृढ़ सुरक्षा एवं कानून व्यवस्था
बनाये रखेंगे तथा राज्य व्यवस्था का संचालक सुशासन के स्थापित सिद्धान्तों पर
करेंगे।
इसी
के साथ मुख्यमंत्री जो सदन में संकल्प के बिन्दु लाए वो कुछ इस तरह से
थे :-
प्रदेश की विकास दर को 9 से 10 प्रतिशत
तक रखे जाने का प्रयास किया जाये । चौबीस घंटे सिंगल फैस विद्युत प्रदाय तथा कृषि
कार्यों के लिए 8 घंटे बिजली प्रदाय हेतु फीडर विभक्तिकरण सहित आवश्यक अधोसंरचना
निर्मित की जाये। बिजली
की उपलब्धता तथा गुणवत्ता में सुधार एवं बिजली की दरों में कमी करने के उद्देश्य
से समग्र तकनीकी एवं वाणिज्यक हानियों में 9 प्रतिशत की कमी लायी जाये। प्रदेश में
बिजली आपूर्ति की स्थिति में सुधार के लिए वर्तमान में स्थापित कुल क्षमता में
न्यूनतम 5000 मेगावाट की वृद्धि की जाए। गैर अपरम्परागत ऊर्जा के उत्पादन, उपकरणों एवं ऊर्जा संरक्षण के उपायों के प्रोत्साहन के लिए अनुदान की
व्यवस्था की जाये।प्रदेश से संभागीय मुख्यालयों को 4 लेन एवं जिला मुख्यालयों को 2
लेन सड़कों से जोड़ा जाये, सभी
ग्राम को बारहमासी संपर्क सड़कों से जोड़ा जायेगा। चिह्नित राजमार्गों के समुचित संधारण
के लिए स्टेट हाइवे फण्ड का निर्माण किया जाये। शासकीय भवनों के निर्माण के लिए
परियोजना क्रियान्वयन इकाइयों का गठन किया जाये। सुनियोजित विकास के लिए सभी शहरों के
सिटी डेवेलपमेंट प्लान तैयार कराये जायें।
संकल्प पत्र में यह भी जोड़ा गया कि नगरीय
क्षेत्रों के विकास के लिए अधोसंरचना बोर्ड का गठन किया जाये। सभी नगरीय
निकायों के फायर ब्रिगेड की सुविधा उपलब्ध करायी जाये। इन्दौर एवं भोपाल में मैट्रो ट्रेन
फिजिबिलटी सर्वे कराया जाये। ग्रामीण क्षेत्र की पेयजल समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमन्त्री
पेयजल योजना प्रारम्भ की जाए। प्रत्येक ग्राम का मास्टर प्लान बनाया जाये। आगामी 3 वर्षों में प्रत्येक ग्राम
पंचायत में पंचायत भवन का निर्माण किया जाए। आगामी वर्षों में सिंचाई की स्थापित
क्षमता में वृद्धि की जाए।
सिंचाई की स्थापित क्षमता के समुचित उपयोग के लिए कमाण्ड एरिया
डेवलपमेण्ट प्रेाग्राम सिहत सभी कारगर उपाय किये जाएं। वैज्ञानिक आधारों पर जल के युक्तियुक्त
दोहन की योजना बनायी जाए।वैज्ञानिक कृषि के लिए मृदा स्वास्थ्य पत्रक (सॉइल हेल्थ
कार्ड ) तैयार किये जायें।किसानों को देय अनुदान की राशि सीधे उनके खातों में जमा
की जाये। उद्यानिकी
फसलों के क्षेफल में 5 लाख हेक्टेयर की वृद्धि की जाए। भण्डारगृह क्षमता तथा सुदृढ़ विपणन
व्यवस्था के साथ प्रदेश को लाजिस्टिक हब के रूप में विकसित किया जाये।
इतना ही नहीं तो मुख्यमंत्री ने इस
संकल्प पत्र में यह भी जुड़वाया कि प्रदेश की विपणन सहकारी संस्थाओं को सृदृढ़
किया जाए। प्रदेश
के सभी पात्र किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया जाए। चिन्हित विकास खण्ड़ों में चलित पशु
चिकित्सालय चलाये जायें।
दुग्ध क्रान्ति लाने के उद्देश्य से दुग्ध समितियों के गठन के साथ
नये मिल्क रूट विकसित किए जाएं। किसान क्रेडिट कार्ड के अनुरूप फिशरमेन क्रेडिट कार्ड पर तीन प्रतिशत
ब्याज दर पर कार्यशील पुंजी हेतु ऋण उपलब्ध कराया जाये। मछुआरों की मजदूरी दरों में वृद्धि की
जाए तथा प्रभावित मछुआरों के पुनर्वास की नई नीति बनाई जाये। वन आधारित रोजगार को बढ़ाने के लिए वनों
में टसर, लाख एवं चारागाह
का विकास किया जाये। वन्य
जीवों के संरक्षण का कार्य प्रभावी तरीके से किया जाये। पुनर्वास नीति का समग्र पुनरीक्षण कर किसानों
के हितों का संरक्षण सुनिश्चित हो । भावी परियोजनाओं में किसान की भूमि का अर्जन
पांच लाख रूपये प्रति एकड़ की दर से कम दर पर नहीं किया जाए। पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप में अभी तक
हुए निवेश में दुगनी वृद्धि की जाये। खनिजों का मूल्यों संवर्धन प्रदेश में ही किये जाने को प्रोत्साहित
करने की नीति बने।
रोजगार एवं आर्थिक विकास के लिए यह संकल्प
पत्र तय करता है कि दिल्ली-मुम्बई,
भोपाल-इन्दौर, भोपाल-बीना, जबलपुर-कटनी-सतना-सिंगरौली औद्योगिक
कॉरिडोर का योजनाबद्ध विकास किया जायेगा। प्रदेश में स्थापित होने वाले उद्योगों में सृजित रोजगार में
यथासम्भव 50 प्रतिशत प्रदेश के मूल निवासियों को उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की
जायेगी। प्रदेश
में नियमित रूप से रोजगार मेलों का आयोजन किया जाये। समग्र समाजिक सुरक्षा कार्यक्रम बनाये
जायें। शासकीय
प्राधिकरण द्वारा आवंटित ईडब्ल्यूएस आवास एवं भूखण्डों के विक्रय-पत्रों व पट्टों
को स्टाम्प शुल्क से छूट प्रदान की जाए। प्रत्येक आदिवासी विकास खण्डों में अंग्रेजी माध्यम की आश्रम शालायें
संचालित की जाए। 50
से कम सीटों वाले आदिमजाति कल्याण विभाग के समस्त छात्रावासों को 50 सीटर छात्रावासों
में परिवर्तित किया जायेगा । कपिलधारा से लाभान्वित अनुसूचित जाति के कृषकों को सिंचाई के लिए विद्युत, डीजल पम्प उपलब्ध कराया जाए।आगामी वषों में सभी जिलों में पिछडे़ वर्ग के लिए
100 सीटर बालक छात्रावास उपलब्ध कराये जायें।
प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह ने अपनी शासकीय
येाजनाओं में मुख्यमन्त्री कन्यादान योजना के अन्तर्गत राशि बढ़ाकर रूपये 10,000 किए
जाने के प्रावधान पर जोर दिया ।प्रदेश में अटल बाल आयोग्य एवं पोषण मिशन की
स्थापना की कही ।राज्य बीमारी सहायता निधि एवं दीनदयाल उपचार योजना के विस्तार का संकल्प
दोहराया गया । शिशु
मृत्यु दर एवं मातृ मृत्यु दर घटाने के प्रयासों पर जोर दिया गया । सकल प्रजनन दर पर
गंभीर विचार हुआ । शिक्षा के स्तर को सुधारने
के लिए आवश्यकतानुसार पांच किलोंमीटर के दायरे में हाईस्कूल की स्थापना काने
का संकल्प दोहराया गया ।उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल पंजीयन अनुपात प्रतिशत को
बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने पर जोर दिया गया। यहां गुणवत्तायुक्त
व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए आईटीआई के सुदृढ़ीकरण एवं उन्नयन किए जाने
की भी बात आई ।
इतना ही नहीं तो इस संकल्प पत्र में कहा
गया कि प्रदेश की बहुविध बोलियों यथा- बुदेंली, मालवी, निमाडी, बघेली, बैगा, भीली
कोरकू, गौण्डी आदि के
विकास व संरक्षण का कार्य किया जाये। राज्य स्तर पर मेलों एवं वृहद् धार्मिक आयोजनों के विकास एवं संचालन
के लिए प्राधिकरण गठित किया जाए। खेल सुविधाओं का विस्तार पंचायत स्तर तक किया जाये। मध्य प्रदेश खेल
प्राधिकरण का गठन किया जाये। पुलिस बल में चरणबद्ध तरीके से वृद्धि की जाए तथा इण्डिया रिजर्व
बटालियन का गठन किया जाये।
सेना के भूतपूर्व सैनिकों की एक सुरक्षा वाहिनी का गठन किया जाये। अवैध वन कटाई, अवैध खनिज उत्खनन, बिजली चोरी, शासकीय भूमि पर अतिक्रमण रोकने तथा
बीपीएल सूची में दर्ज अपात्र व्यक्तियों के नाम काटने के लिए प्रभावी कार्यवाही की
जाये। राजस्व
प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए भू-राजस्व संहिता में संशोधन किये जायें।ग्रामीण
आबादी के पट्टे वितरित किये जाये। पंचायत सचिवों के जिला कैडर की स्थापना की जाये। ग्रामीण
क्षेत्रों में आवास की समस्या के समाधान के लिए मुख्यमन्त्री ग्रामीण आवास मिशन
आरम्भ किया जाये।सार्वजनिक वितरण प्रणाली हेतु बार कोडेड फूड कूपन योजना लागू की
जाये।राशन की दुकान प्रत्येक कार्य दिवस को खुली रखी जाए।
शिवराज के इस संकल्प पत्र में यहां तक
कहा गया कि उनकी सरकार को तकनीतिक का इस्तेमाल किस स्तर तक जाकर करना है। यहां कहा
गया कि पारदर्शी, जबावदेह
एवं संवेदनशील प्रशासन स्थापित करने के लिए व्यवस्था के लिए सूचना प्रौद्यागिकी का
अधिकाधिक उपयोग किया जाए।
एकीकृत वित्तीय प्रबंध सूचना प्रणाली स्थापित की जाए। राज्य में
वांछित प्रशासनिक व्यवस्था में निरन्तर सुधार की अनुशांसाऐंक रने का उत्तरदायित्व
अटल बिहारी वाजपेई लोक प्रशासन संस्थान को सौंपा जाये। प्रशासनिक अमले को पुरस्कृत एवं दण्डित
करने की प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जाये। सिटीजन चार्टर को लोक सेवाओं के प्रदाय की गारण्टी अधिनियम के रूप
में लागू किया जायें। शासकीय
खरीदी पारदर्शी एवं उचित दरों पर करने के लिए वर्तमान व्यवस्था में यथोचित
परिवर्तन किये जायें।
साथ में शिवराज सरकार ने अपने इस संकल्प
पत्र के माध्यम से केंद्र सरकार की ओर भी सहयोग के लिए आग्रह किया है। जिसमें कि यह
भी प्रस्तावित किया गया कि यह सदन केन्द्र शासन से अनुरोध करें कि कृषि उत्पादों
का वायदा बाजार पूर्णत : बन्द करने,
प्रदेश के बीपीएल परिवारों की वास्तविक संख्या के अनुसार खाद्यान्न
आवंटित करने, आवासहीनों
की संख्या के अनुरूप इन्दिरा आवास योजना में राशि प्रदान करने, ताप विद्युतगृहों की आवश्यकता के
अनुरूप उचित गुणवत्ता का कोयला प्रदान करने, प्रदेश के वन क्षेत्रों के विकास के लिए उचित कार्य । शिक्षा का
अधिकार अधिनियम की क्रियान्वयन के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन दिये जाने, इन्दौर दाहोद एवं अन्य रेल लाईन निर्मित
करने तथा विभिन्न विकास परियोजनाओं की पर्यावरण सम्बंधी अनुमातियां शीघ्र जारी किए
जाने के लिए कहे।
वस्तुत:
इस संकल्प पत्र के आए आज 7 साल बीत चुके हैं । इस बीच पुन: भाजपा की सरकार बनी और
अब फिर वर्ष 2018 में भाजपा अपनी सरकार बनाने के लिए आश्वस्त दिख रही है। किंतु सरकार
के स्तर पर पार्टी को भी समय बीतने के साथ यह समझ में आ गया लगता है कि जो संकल्प
हमने सार्वजनिक रूप से लिए, यदि समय रहते उन्हें पूरा नहीं किया गया तो प्रदेश
में पुन: सरकार बनाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा। संभतया
इसलिए ही शिवराज शासन की नीतियों, कार्यक्रमों,
योजनाओं
और भविष्य की कार्य योजनाओं को आमजन से साझा करने के लिए इतने अधिक उत्साहित दिख रहे
हैं । प्रदेश अपने मुख्यमंत्री का इस तरह का पहला कार्यक्रम 13 अगस्त की शाम 6.00
बजे सभी आकाशवाणी केन्द्रों से रिले होगे पर सुन सकता है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान इस कार्यक्रम
के माध्यम से युवाओं, महिलाओं, किसानों,
मजदूरों,
व्यापारियों
सहित सभी वर्गों से जुड़ेंगे। यह कार्यक्रम श्री चौहान की उन भावनाओं की अभिव्यक्ति
के रूप में होगा, जिसमें वे खुलकर जनता से बात करेंगे। उनके
कल्याण के लिये अपनी आत्मीय भावनाओं और प्रतिबद्धता को प्रगट करेंगे।
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