देश में इन दिनों जिस तरह एक के बाद एक वैमन्य फैलाने वाली घटनाएं घट रही हैं, उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किस तरह से आहत किया है, यह उनके हैदराबाद में भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच संवेदनात्मक चिंता व्यक्त करते हुए भावनात्मक रूप से कही गई बातों से स्पष्ट होता है।
वास्तव में सर्व पंथ सद्भाव की संस्कृति को पोषित और पल्लवित करने वाले देश भारत में इस तरह की घटनाओं का लगातार बढ़ना निश्चित ही निराशाजनक और चिंता का विषय है। आखिर वह कौन सी ताकते हैं जो इस तरह की घटनाओं को हवा देकर देश के शांतिमय माहौल को बिगाड़ने पर तुली हुई हैं ? प्रधानमंत्री मोदी ने सही कहा है कि केंद्र की सरकार के जो प्रयास पिछले दिनों सर्व जन हिताय और सर्व जन सुखाय की मंश से किए गए हैं, उनसे सभी के विकास का रास्ता प्रशस्त हुआ है, लेकिन दूसरी ओर ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो इन प्रयासों से खुश हैं। वस्तुत: राजनीतिक स्तर पर इस प्रकार के लोग केंद्र की भाजपा सरकार को सदैव किसी न किसी मुद्दे पर कटघरे में रखना चाहते हैं।
सभी ने देखा भी है कि जब विहार के चुनाव हुए तो किस तरह मोदी विरोधी और भाजपा विरोधियों ने स्यापा किया था और बढ़ा-चढ़ाकर यह दर्शाने का प्रयत्न किया था कि देश में साम्प्रदायिक सौहार्द एवं सामाजिक तानाबाना इन दिनों खतरे में है। सभी जानते हैं कि बिहार चुनाव से पहले हैदराबाद में हुई रोहित वेमुला की खुदकशी की घटना को खूब तूल दिया गया था। इसके बाद दूसरी बार यह असम चुनावों के वक्त देखने को मिला था, हांलाकि इस बार मोदी विरोधी अपने मंसूबों में सफल नहीं हो सके, लेकिन उन्होंने केंद्र सरकार के विरुद्ध माहौल बनाने का तो भरसक प्रयत्न किया ही था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलितों के ऊपर हो रहे हमलों को लेकर जो कहा, वस्तुत: उसे देश के हर उस भारतीय को समझना होगा जो अपने देश से उतना ही प्रेम करते हैं जितना कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने यह कहकर स्पष्ट किया था कि "अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥" संस्कृत के इस श्लोक को अर्थ के साथ समझें तो लंका पर विजय हासिल करने के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मन से कहा, यह सोने की लंका मुझे किसी तरह से प्रभावित नहीं कर रही है। माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़ कर हैं। वास्तव में जो लोग दलितों को वोट बैंक के रूप में देखते है, उन्हें श्रीराम की कही यह बात आज ज्यादा समझने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सही कहते हैं कि भाजपा सरकार द्वारा दलितों के लिए उठाए गए कदमों से उनके विरोधियों में घबराहट है। वे दलितों को प्रभावित करने के लिए ऐसे मुद्दे उठाते रहते हैं। मोदी यहीं नहीं रूके, वे भावनात्मक होकर इतना तक कह गए कि "ऐसे तमाम लोगों से मैं कहना चाहता हूं कि यदि तुम्हें हमला ही करना है, तो मुझे निशाना बनाओ। यदि तुम्हें गोली मारनी है, तो मुझे मार दो। लेकिन मेरे दलित भाइयों पर हमले मत करो।"
संवेदना से भरे इन वाक्यों से समझा जा सकता है कि देश का प्रधानसेवक इन घटनाओं से किस हद तक आहत हुआ है। मोदी आज कुछ गलत नहीं कह रहे हैं कि जो लोग इन मुद्दों को तूल देना चाहते हैं, उन्हें राजनीति छोड़ देनी चाहिए। विभाजनकारी राजनीति से किसी तरह देश का भला नहीं हो सकता। जहां तक गाय की सुरक्षा की बात है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सभी से यही अपील की है कि वे ऐसे फर्जी गोरक्षकों से सावधान रहें, जिन्हें गायों की सुरक्षा से कोई लेना-देना नहीं, गोरक्षा के नाम पर ये लोग शांति और सद्भाव का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं।
डॉ. मयंंक चतुर्वेदी
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कलमंगलवार (09-08-2016) को "फलवाला वृक्ष ही झुकता है" (चर्चा अंक-2429) पर भी होगी।
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मित्रतादिवस और नाग पञ्चमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वैसे तो मोदी जी विरोधकों की परवाह किये बिना अपना काम संतत किये जा रहे हैं पर वे भी तो इन्सान हैं।
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