रविवार, 14 अगस्त 2016

लोकेन्‍द्र पाराशर का भाजपा प्रदेश मीडिया प्रमुख बनना

दैनिक स्‍वदेश ग्‍वालियर से पत्रकारिता करते हुए अपनी प्रदेश व्‍यापी और देश व्‍यापी पहचान बनाने वाले पत्रकार लोकेन्‍द्र पाराशर भारतीय जनता पार्टी मध्‍यप्रदेश संगठन में प्रदेश मीडिया प्रमुख बने हैं। यह समाचार जैसे ही मिला, ह्दय को आनंद की अनुुभूति कई स्‍तरों पर हुई । यह आनंद इसलिए भ्‍ाी है कि कभी ग्‍वालियर से निकलकर प्रभात जी ने भी अपनी पहचान इसी प्रकार प्रदेश व्‍यापी फिर राष्‍ट्रव्‍यापी बनाई है । वे भी ग्‍वालियर की धरती से पत्रकारिता शुरू करते हुए भाजपा के संवाद प्रमुख बने । स्‍वदेश उनकी भी कर्मस्‍थली था और उससे उन्‍हें इतना नाम मिला कि भाजपा को अपने लिए वे श्रेयस्‍कर महसूस हुए। आज उसी ग्‍वालियर की धरती से एक पत्रकार के रूप में अपना अभी तक का जीवन दे चुके लोकेंद्र जी का चयन भाजपा ने अपने लिए प्रदेश संवाद प्रमुख के रूप में किया है। 

वास्‍तव में यहां इतिहास और वर्तमान की तुलना यूं ही नहीं हो रही। श्री प्रभात जी जैसे इस पद से जुड़े श्रेष्‍ठ इतिहास हैं तो लोकेंद्र जी वर्तमान । दोनों में समानताएं अपार हैं, खासकर संघर्ष के स्‍तर पर । एक छोटे से ग्राम से आकर ग्‍वालियर में अपना जीवन आगे ले जाते हुए पत्रकारिता में महारत हासिल कर भाजपा जैैसी राष्‍ट्रव्‍यापी पार्टी जिसकी कि केंद्र में और देश के कई राज्‍यों में सत्‍ता है, प्रदेश मीडिया प्रभारी हो जाना कम छोटी बात तो बिल्‍कुल नहीं है। लोकेंद्र जी उस संघर्ष का जीता जागता उदाहरण हैं।

इसी प्रकार श्री प्रभात जी को जो नजदीक से जानते हैंं, वे बता सकते हैं कि उनका जीवन भी कितना कंंटकाकीर्ण रहा है लेकिन उनकी यह खासीयत कि अपने से जुड़े एक-एक व्‍यक्‍ति की चिंता ठीक उसी प्रकार करों जैसे कि तुम अपने परिवार से जुड़े सदस्‍यों की करते हो ने उन्‍हें भाजपा में लगातार आगे बढ़ाया है। वे अब इस स्‍तर पर पहुंंच गए हैंं कि जहां पद और पतिष्‍ठा भी बौनी है, जहां अब भाव का और श्रद्धा का बोलबाला है। कार्यकर्ता या वह व्‍यक्‍ति जो उनसे एक बार मिला और जुड़ा प्रभात जी ने हमेशा के लिए उसे अपना बना लिया । यदि यही बात लोकेन्‍द्र जी के लिए कही जाए तो कहना होगा कि संवाद बनाने और उसे लगातार स्‍थ‍िर रखने में उनकी भी कोई सानी नहीं है। 

लोकेंद्र जी का भाजपा में प्रदेश मीडिया प्रमुख बनना यह भी बताता है कि संघर्ष कभी व्‍यर्थ नहीं जाता। आप जब अपने विचार संगठन में कार्य कर रहे हैं तो हो सकता है कि कई कठिनाईयां आएं, जब कठिनाइयां आती हैं तो लगता है कि कहीं मेरा निर्णय तो गलत नहीं था जो मैं यहां आ गया । लेेकिन जो होता है, वह अच्‍छे के लिए होता है । कई बार हमारे साथ तत्‍काल में घटने वाली घटनाओं के पीछे और उसमें निहित भविष्‍य को हम नहीं देख पाते । यह तो समय के साथ तय होता है।

इस मौके पर मुझे स्‍वामी नारायण संप्रदाय के प्रमुख जो कल ही हमारे बीच से देह त्‍याग करके ईश्‍वर तत्‍व में विलीन हुए हैं से जुड़ा एक संस्‍मरण ध्‍यान आ रहा है, जब भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति एपीजे अब्‍दुल कलाम निराशा के क्षणों में मिले थे, तब उन्‍होंने यही संदेश  कलाम सहाब को दिया था कि तुम्‍हारी बनाई मिसाइल फैल नहीं हुई है असल में तुम्‍हें अभी इससे भी बड़ा कार्य करना है, इसलिए यह प्रकृति तुम्‍हें उस बड़े कार्य के लिए असफलता का स्‍वाद चखा कर सतत संघर्ष और प्रयत्‍नशील रहने के लिए तैयार कर रही है, और इसके बाद की कहानी तो हम सभ्‍ाी को पता है । श्री कलाम जी देश के मिलाइल मेन भी बने और  राष्‍ट्रपति भी । 

श्री प्रभात जी और लोकेन्‍द्र जी कम से कम मुझ जैसे को लिए तो प्रेरणा पुंज हैं। संगठन का गुण विशेषकर पत्रकारिता करते हुुए सभी को साथ लेकर चलने की कला यह मुझे अप्रत्‍यक्ष रूप से अब तक सिखाते आए हैं। हर बार मिलने पर ऊर्जा से भर देने वाला उनका आत्‍मिक स्‍पर्श निश्‍चित ही श्रेयस्‍कर और अपनत्‍व से भर देनेे वाला है। 

आदणीय भाईसाहब, लोकेंद्र जी को मेरी ओर से इस पद के लिए कोटि-कोटि शुभकामनाएं हैं । 

इति शुभम् 

डॉ. मयंक चतुर्वेदी 

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