महिला अर्थात् नारी, स्त्री, औरत और न जाने ऐसे अनेक नाम जिनसे उसे पुकारा जाता है । यह मानव की ही नहीं अपितु मानवता की भी जन्मदात्री है, क्योंकि मानवता के आधार रूप में प्रतिष्ठित सम्पूर्ण गुणों की वही जननी है। इसलिए ही भारत वर्ष में सनातन संस्कृति और हिन्दू धर्म में उसे धर्म को धारण करनेवाली अधिष्ठात्री कहा गया और माना गया है। हम भारतवासी वंदन में सबसे पहले उपनिषदों के माध्यम से मातृ देवो भव कहते हैं। वह स्त्री जो बालक को ज्ञान का प्रकाश पुंज सबसे पहले देती है, वह देवों में पहले वंदनीय होकर मातृ देव है।
भारतीय संस्कृति में स्त्री की भूमिका पुरुष की अपेक्षा कहीं अधिक सम्माननीय मानी गई है। हमारे आदि-ग्रंथों में नारी को गुरुतर मानते हुए यहाँ तक घोषित किया गया है – यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमंते तत्र देवता, अर्थात जहाँ नारियों की पूजा की जाती है वहां देवता निवास करते है अथवा गृहणी गृहमित्याहू न गृह गृहमुक्यते। इसकी अभिव्यक्ति कालिदास करते हैं कि -वागार्थविव संप्रक्तौ वागर्थ प्रतिपत्तये। जगतः पितरौ वन्दे पार्वती परमेश्वरौ ॥ (कुमार संभवम) जगत के माता-पिता (पितर) भवानी शंकर, वाणी और अर्थ के सदृश एकीभूत है उन्हें वंदन। भारतीय संत परंपरा में संत ज्ञानेश्वर स्वयं को “माऊली’’ (मातृत्व,स्त्रीवत) कहकर संबोधित करते हैं।
महिलाएं भारतीय संस्कृति की संवाहक हैं। भारतीय सांस्कृतिक विरासत को बेटी, बहू और मां के रूप में पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करती हैं। हमारी संस्कृति ने कभी महिला को वस्तु नहीं मानती।एक घर की महिला ही सबकी चिंता करती है, औरों की ख़ुशी में ही खुद खुश होकर रहना यही उसका आदर्श है, इसीलिए ही हमने महिला को देवी के रूप में देखा है।
हिन्दी के महान साहित्यकार प्रसाद के इन शब्दों से भारतीय संस्कृति में किसी भी महिला के महत्व को समझा जा सकता है...
नारी जीवन का चित्र यही
क्या विकल रंग भर देती है।
स्फुट रेखा की सीमा में
आकार कला को देती है।।
महिला दिवस पर देश की समस्त स्त्री शक्ति एवं मातृ शक्ति को हार्दिक शुभकामनाएं एवं वंदन....
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (09-03-2017) को "अगर न होंगी नारियाँ, नहीं चलेगा वंश" (चर्चा अंक-2904) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'